Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 03:52 PM
पहले उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जांग उन व फिर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया में तबाही मचाने के न्यूक्लियर बटन के बयान को लेकर दुनिया भर में भर्तस्ना हो रही है कि ये दोनों देश बेवजह इतरा रहे हैं।
वॉशिंगटनः उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जांग उन व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया में तबाही मचाने के न्यूक्लियर बटन के बयान को लेकर दुनियाभर में भर्तस्ना हो रही है कि ये दोनों देश बेवजह इतरा रहे हैं। दरअसल ये दोनों देश ही परमाणु हथियारों से लैस नहीं बल्कि दुनिया के 9 देशों के पास भी परमाणु हथियार हैं। इन सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की कमान में एक न्यूक्लियर वेपन कमांड व्यवस्था काम कर रही है।
यह कमांड व्यवस्था दुनिया में न्यूक्लियर हमले की स्थिति में अपने-अपने बचाव अथवा दुश्मन को कमजोर करने के लिए खुद न्यूक्लियर हमला करने का फैसला लेने में सक्षम है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह कमांड व्यवस्था अमरीका और यूएसएसआर के राष्ट्रपतियों के नेतृत्व में विकसित हुई और शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच कई बार विवाद इस स्तर पर पहुंचा । यहां तक कि राष्ट्रपति खुद के पास मौजूद न्यूक्लियर बटन दबाने के बेहद नजदीक पहुंच गए।
बहरहाल, मौजूदा समय में दुनिया के लगभग 9 देश ऐसे न्यूक्लियर बटन से लैस है और खतरा दिखाई देने पर वे न्यूक्लियर हमला करने के लिए बटन दबाने का काम कर सकते हैं। न्यूक्लियर बटन से लैस इन देशों में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल है जिनके पास न्यूक्लियर हमले की स्थिति से निपटने के लिए विस्तृत कमांड व्यवस्था मौजूद है।
यह व्यवस्था इसलिए भी जरूरी है क्योंकि न्यूक्लियर हमले की स्थिति में किसी भी देश के पास बचाव अथवा जवाबी हमले के लिए महज कुछ सेकेंड बचेंगे। लिहाजा ऐसी स्थिति में समय खराब न हो, न्यूक्लियर हमले की कमान राष्ट्र के प्रमुख के पास मौजूद रहती है। हालांकि अलग-अलग देशों में इस स्थिति में वास्तविक फैसला लेने के लिए राष्ट्राध्यक्ष की कमान में सेना के आला अधिकारियों, रक्षा विभाग के प्रमुख समेत कई लोगों को शामिल किया गया है।