Edited By ,Updated: 06 Apr, 2017 03:42 PM
बेटियां बेटों से कम नहीं होती चाहे बात व्यवहारिक जीवन की हो या फिर सामाजिक जीवन की। जरुरत पडऩे पर वो बेटों का फर्ज भी निभाने से पीछे नहीं हटती।
भागलपुर: बेटियां बेटों से कम नहीं होती चाहे बात व्यवहारिक जीवन की हो या फिर सामाजिक जीवन की। जरुरत पडऩे पर वो बेटों का फर्ज भी निभाने से पीछे नहीं हटती। इसकी बानगी एक बार फिर से बिहार के बांका में देखने को मिली जहां एक साथ 9 बेटियों ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी और अर्थी को कंधा दिया। बांका के चुन्नीलाल शाह की किडनी की बीमारी के चलते इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद उनका शव बांका लाया गया।
मृतक को काई पुत्र नहीं था उसकी 9 बेटियां ही थीं। पुत्री माला ने बताया कि भाई नहीं रहने का पिता समेत हम बहनों को कोई अफसोस नहीं है क्योंकि हमने पिता की अर्थी को कंधा देकर पुत्र धर्म भी निभाया है। दहाड़ मारती बेटियों को देखकर वहां मौजूद लोगों और रिश्तेदारों की आंखें छलक गई।