एक दशक में शादी न करने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या हुई दोगुनी

Edited By ,Updated: 15 Dec, 2016 11:24 AM

a decade has doubled the number of muslim women who do not marry

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 20 से 34 साल आयु वर्ग की मुस्लिम महिलाओं को दूसरे समुदायों की तुलना में तलाक दिए जाने की ज्यादा आशंका होती है।

नई दिल्ली : सरकारी आंकड़ों के अनुसार 20 से 34 साल आयु वर्ग की मुस्लिम महिलाओं को दूसरे समुदायों की तुलना में तलाक दिए जाने की ज्यादा आशंका होती है। लेकिन इन आंकड़ों से एक और चिंताजनक बात सामने आती है कि नौजवान मुस्लिम महिलाओं में शादी करने की दर भी दूसरे समुदाय से कम है। साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार 20 से 39 साल उम्र की 33 लाख 70 हजार मुस्लिम महिलाएं अविवाहित थीं। साल 2011 तक देश में कुल मुस्लिम महिलाओं की आबादी 2 करोड़ 10 लाख थी यानी करीब 12.87 प्रतिशत महिलाएं अविवाहित थीं। पिछले हफ्ते ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन तलाक को गैर-संवैधानिक करार दिया है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार शहरी इलाकों में युवा मुस्लिम महिलाएं इन विकल्प का ज्यादा चुनाव कर रही हैं। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संयोजक नूर जहां साफिया नीयाज कहती हैं कि समुदाय की सामाजिक, आर्थिक स्थिति बदलने की वजह से महिलाएं ज्यादा चुनाव कर रही हैं। अब महिलाओं के पास पहले की तुलना में ज्यादा विकल्प उपलब्ध हैं। इश्तराक एजुकेशन सोसाइटी की जनरल सेक्रेटरी और एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स की सदस्य रूबीना फिरोज कहती हैं कि ये चलन ग्रामीण इलाकों में शायद न हो लेकिन शहरी इलाकों में मुस्लिम महिलाएं पहले से ज्यादा सशक्त हुई हैं।

2001-2011 के दशक में विवाह न करने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या में 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जो दूसरे समुदायों की तुलना में काफी अधिक है।  2001-2011 के दशक में शादी न करने वाली बौद्ध महिलाओं की संख्या में 72.78 प्रतिशत, हिंदू महिलाओं में 69.13 प्रतिशत और सिख महिलाओं में 66.21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

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