जन्मदिन विशेष: अधूरा रह गया था डा. कलाम का एक सपना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 01:11 PM

a dream of dr kalam remained incomplete

नए भारत के निर्माण के लिए युवा वर्ग को प्रेरित करने वाले दिवंगत राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 86वीं जयंती है।  देश के सर्वोच्च अवॉर्ड भारत रत्न से सम्मानित अब्दुल कलाम को जनता का राष्ट्रपति भी कहा जाता है। डा. कलाम ने अपने जीवन में कई ऐसे...

नई दिल्ली: नए भारत के निर्माण के लिए युवा वर्ग को प्रेरित करने वाले दिवंगत राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 86वीं जयंती है।  देश के सर्वोच्च अवॉर्ड भारत रत्न से सम्मानित अब्दुल कलाम को जनता का राष्ट्रपति भी कहा जाता है। डा. कलाम ने अपने जीवन में कई ऐसे काम किए थे जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादास्पद हैं। उनके प्रेरक बोल आज भी लोगों के जीवन में बड़ी प्रेरणा के तौर पर आते हैं। आईए जानते हैं अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़े कुछ अहम किस्से...

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लोगों का चहरा पढ़ लेते थे डा. कलाम 
पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी। उन्हें साल 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया था। डा. कलाम का ख्वाब भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बनने का था। वायुसेना की परीक्षा में उन्हें मिलाकर कुल 25 उम्मीदवारों में से आठ का चयन होना था। वह उस परीक्षा में नौवीं पोजिशन पर रहे और उनका ख्वाब टूट गया। डा. कलाम ने हमेशा विकास की बात की, फिर वह डेवल्पमेंट समाज का हो या फिर किसी व्यक्ति का। वह एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक मनोवैज्ञानिक भी थे। उन्हें लोगों का चेहरा पढऩा आता था वो जिसका भी चेहरा एक बार पढ़ लेते उसके बारे में बता दिया करते थे। PunjabKesari

जानवरों से था बेहद प्यार
सभी को साथ लेकर चलने वाले कलाम जानवरों से भी उतना ही प्यार करते हैं, जितना इंसानों से करते थे। एक बार डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी। टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए लेकिन डा. कलाम ने टीम के इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर पक्षी नहीं बैठेंगे।
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जेब में रखते थे इस्तीफा 
‘अग्नि’ मिसाइल के टेस्ट के समय कलाम काफी नर्वस थे। उन दिनों वो अपना इस्तीफा अपने साथ लिए घूमते थे। उनका कहना था कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो वो इसकी जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देंगे। 2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद डॉक्टर पहली बार केरल गए थे। उस वक्त केरल राजभवन में राष्ट्रपति के मेहमान के तौर पर दो लोगों को न्योता भेजा गया। पहला था जूते-चप्पल की मरम्मत करने वाला और दूसरा एक ढाबा मालिक तिरुवनंतपुरम में रहने के दौरान इन दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी।
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संयुक्त परिवारों के खत्म होने से थे परेशान 
डा. कलाम संयुक्त परिवारों के खत्म होने से काफी परेशान थे। उनका मानना था कि न्यूक्लियर फैमिली में बुजुर्गों की देखरेख नहीं हो पाती। उनका मानना था कि गांवों के विकास पर फोकस होना चाहिए। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को दुरुस्त करवाना सरकारों की प्राथमिकता रहनी चाहिए। डा. कलाम की सोच साधारण रहन-सहन के साथ सामाजिक रूप से उत्पादकता देने वाली थी। 27 जुलाई, 2015 को कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर देने गए थे जहां दिल का दौरा पडऩे से उनका निधन हो गया था। 
 

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