GST के 17 साल के सफर पर एक नजर...

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 02:40 PM

a look at the 17 years of gst journey

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लेकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं किए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे महंगाई नहीं बढ़ेगी और लोगों को आसान कर व्यवस्था का फायदा मिलेगा।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लेकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं किए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे महंगाई नहीं बढ़ेगी और लोगों को आसान कर व्यवस्था का फायदा मिलेगा। आजादी के बाद सबसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप मेें देखा जा रहा GST 1 जुलाई से लागू हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GST को गेम चेंजर बताया है। GST को अपनी चरम सीमा तक पहुंचने में 17 साल तक का सफर तय करना पड़ा।

एक नजर GST के अभ तक की यात्रा पर
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने जी.एस.टी. पर विचार करने के लिए पश्चिमी बंगाल के तात्कालिक वित्त मंत्री की अगुवाई में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली एक सशक्त कमेटी का गठन किया था।

2001 जुलाई: जी. एस. टी. पर विजय केलकर की अगुवाई में टास्क फोर्स बनाई गई।

2006 फरवरी: तात्कालिक वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने जी.एस.टी. पर गंभीरता दिखाते हुए इस बिल को लागू करने की डैडलाइन 1 अप्रैल, 2010 रखी थी। इसके लिए उन्होंने कमेटी में शामिल सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को जल्द सहमति बनाने का निर्देश दिया था।

2009- नवम्बर : इम्प्वारड कमेटी ने जी.एस.टी. पर पहला वार्ता पेपर निकाला।
दिसम्बर : 13वें वित्त अयोग ने भी जी.एस.टी. का समर्थन किया।

2011 मार्च: यू.पी.ए. सरकार ने इस संबंध में लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया और उसके बाद इस बिल को वित्त पर बनी स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया।

 2013 मई: स्टैंडिंग कमेटी ने इसकी सिफारिशों को स्वीकार किया।

2014: यू.पी.ए. सरकार गुजरात व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के विरोध के चलते इस बिल को पास नहीं करा सकी। इस संबंध में सरकार ने जो संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया था वह भी संसद के भंग होने के साथ खत्म हो गया।

2014 मई: सत्ता में आने के बाद एन.डी.ए. सरकार ने इस बिल को लागू करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए। राज्यों को मनाने के लिए उन्होंने उनके समक्ष प्रस्ताव रखा कि कर से उन्हें जो घाटा होगा उसकी भरपाई केंद्र करेगा। 

पुनर्संशोधित बिल मई 2015 में लोकसभा में पेश किया गया।

2015 मई: राज्यसभा ने बिल को चयन समिति को रैफर कर दिया।

जुलाई: चयन समिति ने राज्यसभा की सिफारिशों को मानते हुए अगस्त, 2016 में इसे पास कर दिया।

2016 अगस्त: सरकार ने लोकसभा में बिल को पास कर दिया व इसके साथ देश के आधे से ज्यादा राज्यों ने भी इसे पारित कर दिया।

2017
27 मार्च: सरकार ने लोकसभा में जी.एस.टी. से संबंधित 4 बिल पेश किए।
29 मार्च: सभी चारों बिल लोकसभा में पास हो गए।
अप्रैल: राज्यसभा ने चारों बिलों को बिना किसी संशोधन के पास कर दिया। इसी के साथ राष्ट्रपति ने सभी बिलों पर हस्ताक्षर कर दिए।
मई,जून: जी.एस.टी. काऊंसिल ने सभी टैक्स दरों को अंतिम रूप दे दिया।
जी.एस.टी. लागू होने की प्रस्तावित तारीख
1 जुलाई 2017

 

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