आप के 5 साल: बिछड़े कई .....बारी....बारी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 06:56 AM

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आम आदमी पार्टी (आप) का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को रामलीला मैदान में हुआ। हालांकि, पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन में कई संस्थापक सदस्यों के चेहरे गायब रहें। पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति...

नई दिल्ली(रमेश कुमार): आम आदमी पार्टी (आप) का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को रामलीला मैदान में हुआ। हालांकि, पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन में कई संस्थापक सदस्यों के चेहरे गायब रहें। पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण, विधायक कपिल मिश्रा जैसे कई संस्थापक सदस्य पार्टी से दूर हो चुके हैं। बीते पांच वर्षों के दौरान पार्टी में काफी उथल-पुथल देखने को मिली है जिसकी छाया इस अधिवेशन पर भी पड़ी। पांच वर्ष पहले इसी रामलीला मैदान में अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान पार्टी की पटकथा लिखी गई थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास, संजय सिंह, गोपाल राय समेत अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकत्र्ताओं को संबोधित किया। मुख्य आकर्षण कुमार विश्वास का भाषण रहा। शनिवार को कुमार विश्वास ने स्वयं ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी कि वह राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होंगे और कार्यकत्र्ताओं से रू-ब-रू होंगे।  हालांकि, पार्टी के निष्कासित विधायक कपिल मिश्रा ने इस राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर चुटीले अंदाज में एक कविता लिखी है जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर अन्य कई नेताओं पर कटाक्ष किया गया है। इस अधिवेशन में संगठनात्मक विस्तार, देश के राजनीतिक, सामाजिक पहलुओं पर चर्चा हुई। पार्टी के कार्यकत्र्ता इस अधिवेशन में टोपी पहन और तिरंगा लेकर शामिल हुए। रामलीला मैदान में ही सीएम अरविंद केजरीवाल ने शपथ ली थी। उस समय समूचा रामलीला मैदान लोगों से भर गया था।

पांच वर्ष, सफलता और विवादों से भरे रहे
आम आदमी पार्टी की दिल्ली में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनने के बाद माना जा रहा था कि पार्टी देशभर में तेजी से बढ़ेगी, लेकिन चंद दिनों बाद संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ सी.एम. केजरीवाल के शुरू हुए झगड़े के कारण पार्टी निरंतर विवादों में घिरती गई। इसके अलावा सरकार में भी पार्टी विधायकों ने पार्टी की खूब किरकिरी कराई। पूर्व मंत्री संदीप कुमार की सैक्स सी.डी. ने पार्टी को खूब शर्मशार किया, जबकि जलमंत्री रहे कपिल मिश्रा ने सीधे तौर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ही रिश्वतखोरी का आरोप लगाकर सियासी भूचाल खड़ा कर दिया। यही नहीं पार्टी के सबसे ओजस्वी वक्ता में शुमार कुमार विश्वास का भी अब पार्टी पर विश्वास डगमगाने लगा है। कुमार विश्वास और पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान को लेकर खूब विवाद बना रहा। आखिरकार पार्टी ने दोबारा विधायक खान की सदस्यता बहाल कर नए सिरे से विवादों को सुलगा दिया है।

1 लाख के करीब सक्रिय सदस्य हैं
देश के 22 राज्यों में संगठनात्मक विस्तार करते हुए पार्टी करीब 1 लाख सक्रिय सदस्य बना चुकी है। दिल्ली में सबसे अधिक सदस्यों की संख्या है। दिल्ली में पार्टी ने 3 हजार मंडल अध्यक्ष और 12 हजार बूथ लैवल वालंटियर बनाने का दावा किया है।

ये लोग कभी थे पार्टी के थिंक-टैंक
आम आदमी पार्टी के कई संस्थापक सदस्यों ने बीते पांच वर्षों में अलविदा कह दिया है। इनमें वरिष्ठ वकील शांति भूषण, प्रशांत भूषण, पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े, योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, अखिल गोगाई, प्रो. आनंद कुमार, मयंक गांधी, विधायक कपिल मिश्रा समेत अन्य कई संस्थापक सदस्यों ने पार्टी छोड़ दी है। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पार्टी के थिंक टैंकों में शामिल थे। सियासी जानकारों की मानें तो पार्टी को संगठन विस्तार में बड़ी परेशानी हो रही है।

पार्टी दफ्तर को मिली बड़ी जगह
पार्टी में उतार-चढ़ाव की तरह पार्टी दफ्तर भी दिल्ली से दौलताबाद की तर्ज पर बदलता रहा। पार्टी कार्यालय की शुरुआत तो ऐसे यूपी के कौसंबी से हुई थी, जहां पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रहा करते थे, बाद में पार्टी कनॉट प्लेस स्थित हनुमान रोड पर एक बंगले में खोली। इस दफ्तर को एक रुपए चंदे पर दिए जाने को लेकर भी खूब विवाद रहा। बाद में पार्टी का कार्यालय बदलकर नार्थ एवेन्यू स्थित सांसद फ्लैट में चला गया। इसके बाद पार्टी वेस्ट पटेल नगर में अपना नया दफ्तर खोला। लेकिन सरकार में आने के बाद पार्टी ने अपना कार्यालय आईटीओ स्थित राउज एवेन्यू में बना दिया है। फिलहाल राउज एवेन्यू में ही पार्टी का दफ्तर चल रहा है।

दिल्ली और पंजाब में बनाई जगह
दिल्ली में मौजूदा समय में जहां 66 विधायक हैं, वहीं तीनों नगर निगम में 49 पार्षद भी हैं। हालांकि इससे पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी के 49 विधायक जीतकर आए थे। पंजाब में 20 विधायक और 4 सांसद हैं। हालांकि पार्टी को सबसे अधिक निराशा पंजाब से ही लगी, जहां माना जा रहा था कि सरकार की बागडोर आप के हाथों में होगी। 

.गुजरात विधानसभा की 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन माना जा रहा है कि यहां पार्टी को शायद ही सफलता मिल पाए।
.गोवा विधानसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार मिली थी। हालांकि, करीब 6.3 प्रतिशत वोट पार्टी को जरूर हासिल हुए थे।
.राजस्थान में भी आगामी विधानसभा चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी है।
.यू.पी. के निकाय चुनावों में भी पार्टी इस बार अपनी किस्मत आजमा रही है। पार्टी ने दावा किया है कि एटा, इटावा की सीट पर पार्टी की जीत पक्की है। 
.डी.यू. छात्रसंघ चुनावों में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

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