AAP ने वापस ली दिल्‍ली हाईकोर्ट से विधायकों को अयोग्‍य करार देने की याचिका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 06:10 PM

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लाभ के पद मामले में विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी वह अर्जी वापस ले ली जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से उन्हें अयोग्य घोषित करने की सिफारिश को चुनौती दी थी। इन विधायकों...

नई दिल्ली: लाभ के पद मामले में विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी वह अर्जी वापस ले ली जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से उन्हें अयोग्य घोषित करने की सिफारिश को चुनौती दी थी। इन विधायकों ने कहा कि उन्हें अयोग्य करार देने वाली अधिसूचना पर विचार-विमर्श करने के बाद वे न्यायालय में नई अर्जी दाखिल करेंगे। 

 न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने विधायकों को अपनी अर्जी वापस लेने की इजाजत दे दी और इसे ‘‘वापस लिया’’ हुआ मानकर खारिज कर दिया।  ‘आप’ के एक विधायक की तरफ से पेश हुए वकील मनीष वशिष्ट ने न्यायालय को बताया कि उन्हें अयोग्य करार देने के लिए चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्रपति को की गई सिफारिश के खिलाफ दायर उनकी अर्जी अब ‘‘अर्थहीन’’ हो गई, क्योंकि इस बाबत एक अधिसूचना 20 जनवरी को जारी की जा चुकी है।  उच्च न्यायालय ने 19 जनवरी को ‘आप’ के इन विधायकों को राहत देने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। लाभ का पद संभालने के आरोप में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी।  

 राष्ट्रपति को भेजी गई अपनी राय में आयोग ने कहा था कि संसदीय सचिव के पद पर रहकर उन्होंने लाभ का पद संभाला और इसी वजह से वे दिल्ली विधानसभा के सदस्य के तौर पर अयोग्य करार दिए जाने लायक हैं।  वकील प्रशांत पटेल ने ‘आप’ के उन 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में अर्जी दायर की थी, जिन्हें दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिवों के पद पर नियुक्त किया था।   रजौरी गार्डन से विधायक रहे जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए दिल्ली विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी।  

 जिन 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया गया उनमें शामिल हैं - आदर्श शास्त्री (द्वारका), अलका लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोम दत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिव चरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंदर गर्ग (राजिंदर नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर)।  अपनी अर्जियों में उन्होंने चुनाव आयोग में चल रही कार्यवाही और इस बाबत आयोग की ओर से राष्ट्रपति से किए जाने वाले किसी संवाद पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। उन्होंने दलील दी थी कि मामले के गुण-दोष पर आयोग में कोई सुनवाई नहीं हुई थी और न ही याचिकाकर्ताओं को आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल की ओर से कोई साक्ष्य नहीं पेश किया गया था।  

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