संयुक्त राष्ट्र में उठाई भारतीय कानून की ‘खामियां’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Sep, 2017 05:08 PM

activist in un  new laws legalise child labour in india

संयुक्त राष्ट्र में एक भारतीय संगठन की प्रतिनिधि ने भारत के कानून की खामियां उठाई हैं...

संयुक्त राष्ट्रः संयुक्त राष्ट्र में एक भारतीय संगठन की प्रतिनिधि ने भारत के कानून की खामियां उठाई हैं । भारतीय संगठन की प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों को सूचित किया है कि हाल ही में लागू कुछ कानूनों ने कई क्षेत्रों में बाल श्रम को वैध बना दिया है। भारत में देह व्यापार रोकने के लिए काम करने वाले संगठन ‘अपने आप विमन वर्ल्डवाइड’ की प्रतिनिधि रुचिरा गुप्ता ने महासभा की उच्चस्तरीय बैठक में अपने संबोधन में कहा कि दो कानून ऐसे हैं जो काफी समस्या पैदा करने वाले हैं और इसका गरीब लड़कियों पर काफी खतरनाक असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि इनमें से एक कानून पिछले साल सितंबर में पारित किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इस कानून ने  भारत में कई क्षेत्रों जैसे घरों में होने वाले कार्य और आॅडियो-विजुअल मनोरंजन क्षेत्र में बाल श्रम को वैध बना दिया है। इसने आईएलओ-आईपीईसी की सूची से खतरनाक उद्योगों के नाम भी हटा दिए, जिनमें बच्चों से कभी काम नहीं कराया जा सकता है।’’  वहीं दूसरा कानून जो प्रभावी है, उसमें मानव तस्करी को यौन उत्पीड़न से अलग करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों कानून मिल कर यौन उत्पीड़न और बाल श्रम के लिए मानव तस्करी के 80 फीसदी पीड़ितों को गायब ही कर देंगे।’’ उन्होंने कहा कि इस कानून से ऐसे आंकड़े सामने आएंगे जो यह दिखाएगें कि भारत में मानव तस्करी में कमी आई है लेकिन यह बाल श्रमिकों और वेश्यावृति में शामिल बच्चों की संख्या बढ़ा देंगे।’’ रुचिरा एनजीओ सेक्टर की कुछ चुनिंदा प्रतिनिधियों में से एक हैं, जिन्हें संयुक्त महासभा में मानव तस्करी के ऊपर उच्च स्तरीय बैठक में अपनी बात रखने का मौका दिया गया था।

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