लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद भाजपा में खतरे की घंटी, विपक्ष गठबंधन करने में जुटा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 07:39 PM

after the defeat the danger bell in the bjp

2018 में लोकसभा सीटों  पर हुए उपचुनावों में भाजपा को लगातार हार का मुंह देखना पड़ा है। भगवा पार्टी 2019 के आम चुनाव में भारी बहुमत प्राप्त करने का दावा कर कर रही है। मगर इस वर्ष हुए सभी छह लोकसभा सीटों के हुए उपचुनावों में भाजपा को हार ही मिली है...

नई दिल्ली:  2018 में लोकसभा सीटों  पर हुए उपचुनावों में भाजपा को लगातार हार का मुंह देखना पड़ा है। भगवा पार्टी 2019 के आम चुनाव में भारी बहुमत प्राप्त करने का दावा कर कर रही है। मगर इस वर्ष हुए सभी छह लोकसभा सीटों के हुए उपचुनावों में भाजपा को हार ही मिली है जिससे उत्तर प्रदेश में पार्टी में खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है। गत दिवस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के फूलपुर संसदीय संसदीय सीट में मिली बुरी हार से भाजपा हताश है इससे स्पष्ट है कि पार्टी उपचुनावो में जीत हासिल करने की स्थिति में नही है क्योंकि समूचा विपक्ष भाजपा को हराने में एकजुट है। इस हार को देखते हुए विपक्षी दलों ने 2019 के आम चुनावों में व्यापक गठबंधन करने की तैयारी शुरू कर दी है।

भाजपा के उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर सपा के हाथों मिली हार के बाद ये बहस शुरू हो गई है कि क्या भाजपा का विरोध करने वाली राजनीकि  पार्टियां 2019 के चुनाव गठबंधन के तहत लड़ेगीं। इन उपचुनावों में बसपा ने सपा उम्मीदवारों का समर्थन किया था। उत्तर प्रदेश के अलावा लालू प्रसाद की राजद पार्टी ने बिहार के अररिया निर्वाचन क्षेत्र में भी जीत हासिल कर ली है। पार्टी के उम्मीदवार ने वहां सत्तारूढ जदयू भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी को हराया था। 

इन तीनों सीटों के अलावा भाजपा इस वर्ष राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के हाथों पराजित हुई। पश्चिम बंगाल के उल्लबेरिया में टीएमसी ने भाजपा को पराजित किया था। इन उपचुनावों में भाजपा को मिली हार से विपक्षी दल काफी उत्साहित हैं। कांग्रेस सपा बसपा का यूपी में गठबंधन हो सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्थर पर भी सभी क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा वाम दलों को साथ लेकर व्यापक गठबंधन बनाने में सक्रिय है।

पिछले दिनों कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यूपीए के घटक दलों की बैठक की थी जिसमें भाजपा की जीत को रोकने के लिए सभी दलों का सहयोग मांगा गया था। अप्रेल 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं इसलिए जहां भाजपा अपना विजय रथ को आगे बढ़ाने की जी तोड़ कोशिश करेगा वहीं विपक्षी दल भी एक जुट होकर केंद्र में भाजपा सरकार को हटाने का प्रयास करेगी। 

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