IAF मार्शल अर्जन सिंह का निधन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 10:57 PM

air marshal arjan singh condition serious

युद्ध नायक मार्शल अर्जन सिंह का आज देर शाम निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में ...

नई दिल्ली: युद्ध नायक मार्शल अर्जन सिंह का आज देर शाम निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था। वायुसेना के सूत्रों ने जानकारी दी कि आज देर शाम साढ़े सात बजे अर्जन सिंह का निधन हो गया।

अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र ऐसे अधिकारी रहे जो पांच सितारा रैंक तक पदोन्नत हुए। यह पद भारतीय थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मार्शल को आज सुबह दिल का दौरा पडऩे के बाद यहां सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत, एडमिरल सुनील लांबा और एअर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिहं धनोआ मार्शल अर्जन सिंह को देखने अस्पताल पहुंचे।  देश की सेना के इतिहास में आदर्श रहे सिंह ने 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था।

उस समय वह 44 साल के थे। पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने जम्मू कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर अखनूर को निशाना बनाया, तब सिंह ने साहस, प्रतिबद्धता और पेशेवर दक्षता के साथ भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया। लड़ाकू पायलट रहे सिंह ने 1965 की लड़ाई में बाधाओं के बावजूद हवाई युद्ध शक्ति का पूर्ण इस्तेमाल कर भारतीय वायुसेना को प्रेरित किया।

उन्हें देश के दूसरे सर्वो‘च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर में 15 अप्रैल 1919 को जन्मे अर्जन सिंह के पिता, दादा और परदादा ने सेना के घुड़सवार दस्ते में सेवा दी थी।  मांटगुमरी, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में शिक्षित सिंह 19&8 में रायल एअरफोर्स (आरएएफ), क्रैनवेल से जुड़े थे और बाद के वर्ष में दिसंबर में वह वायुसेना में पायलट अफसर के रूप में शामिल हुए।

सिंह ने 1944 की अराकान लड़ाई में वायुसेना की एक स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था। उन्हें उस साल विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से नवाजा गया था। वह एक अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक भारतीय वायुसेना के प्रमुख रहे। थलसेना के फील्ड मार्शल सैम मानेकशा और केएम करिअप्पा दो अन्य अधिकारी थे जिन्हें पांच सितारा पदोन्नति मिली। वायुसेना से सेवानिवृत्ति के बाद अर्जन सिंह को 1971 में स्विट््जरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया। इसके साथ ही उन्होंने वैटिकन में भी राजदूत के रूप में सेवा दी।

वह 1974 में केन्या में उ‘चायुक्त भी रहे।  वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य तथा दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे। उन्हें जनवरी 2002 में वायुसेना का मार्शल बनाया गया था।  पिछले साल उनके जन्मदिन पर उनके सम्मान में पश्चिम बंगाल के पानागढ़ स्थित लड़ाकू विमान प्रतिष्ठान का नाम उनके नाम पर रखा गया था। 

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