अजमेर दरगाह ब्लास्ट का फैसला 8 मार्च को, RSS से जुड़े हैं कई आरोपी

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 01:10 PM

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जयपुर की नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) स्पेशल कोर्ट अजमेर दरगाह ब्लास्ट केस में आज अपना फैसला सुना सकती है।

अजमेर : जयपुर : एनआईए मामलों की विशेष अदालत (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश दिनेश गुप्ता अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर मेंं आहता ए नूर पेड के पास 11 अक्टूबर, 2007 को हुए बम विस्फोट मामले का फैसला 8 मार्च को सुनाएंगे। अदालत आज इस मामले में फैसला सुनाने वाली थी। बचाव पक्ष के वकील जगदीश एस राणा ने अदालत परिसर में संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मामले में पर्याप्त गवाह और दस्तावेज हैं। दस्तावेजों और बयानों को पढऩे और फैसला लंबा होने के कारण लिखने में समय लगने की वजह से अदालत अब 8 मार्च को फैसला सुनाएगी।

न्यायिक हिरासत में बंद 8 आरोपी स्वामी असीमानंद, हर्षद सौलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, भावेश पटेल, मेहुल कुमार ,भरत भाई, देवेन्द्र गुप्ता फैसला सुनने के लिए अदालत में मौजूद थे। न्यायालय में आज इस मामले में आने वाले फैसले और आरोपियों की अदालत में पेशी को देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हिंदूवादी संगठनों के 13 लोग इस मामले में आरोपी हैं। 

बदला लेने के लिए रची थी ब्लास्ट की साजिश
चार्जशीट के अनुसार, आरोपियों ने वर्ष 2002 में अमरनाथ यात्रा और रघुनाथ मंदिर पर हुए हमले का बदला लेने के लिए अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बम ब्लास्ट की साजिश रची थी। पुलिस ने ब्लास्ट की जगह से 2 सिम कार्ड और एक मोबाइल बरामद किया था। सिम कार्ड झारखंड और पश्चिम बंगाल से खरीदे गए थे। घटनास्थल से एक बैग में रखा जिंदा बम बरामद किया गया था।

11 अक्टूबर, 2007 को हुआ था दरगाह में ब्लास्ट
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर, 2007 की शाम करीब सवा 6 बजे अजमेर दरगाह में ब्लास्ट हुआ था। इस ब्लास्ट में 3 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 15 लोग घायल हुए थे। इस मामले में कुल 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें 26 महत्वपूर्ण गवाह अपने बयानों से मुकर गए थे। मुकरने वाले गवाहों में झारखंड के मंत्री रणधीर सिंह भी शामिल थे। मामले की जांच के बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें कुछ आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने बम ब्लास्ट के आरोप कबूल भी किए थे। बाद में सभी आरोपियों और गवाहों ने सीबीआई और एनआईए पर डरा-धमकाकर बयान दर्ज करवाने का आरोप लगाया।

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