Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 04:31 PM
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अंडमान निकोबार की संरक्षित जारवा जनजाति का आपत्तिजनक वीडियो यूट्यूब पर डाले जाने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे अपलोड करने वालों के....
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अंडमान निकोबार की संरक्षित जारवा जनजाति का आपत्तिजनक वीडियो यूट्यूब पर डाले जाने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है । इस कृत्य के लिए के तीन वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान है। आयोग ने इस आपत्तिजनक वीडियो और फोटो को अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने तथा इसे हटाने के लिए यह मामला गृह मंत्रालय , विदेश मंत्रालय ,सूचना प्रसारण मंत्रालय ,जनजातीय मंत्रालय और अंडमान निकोबार द्वीप के मुख्य सचिव के समक्ष उठाने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि 2012 में भी जारवा जनजाति की अर्धनग्न महिला का वीडियो अपलोड होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। वर्ष 1956 के एक नियम के तहत जारवा समेत अंडमान निकोबार की पांच जनजातियों को मूल जनजाति का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा वर्ष 2012 में इन जनजातियों से जुड़ा विज्ञापन बनाकर पर्यटन को बढ़ावा देने पर दंडात्मक प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के उत्पीडऩ के रोकथाम सम्बन्धी कानून के तहत जिन इलाकों में ये जनजातियां रहती हैं ,वहां प्रवेश करके उनका वीडियो बनाने या फोटो खींचने पर तीन वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान है। अंडमान निकोबार द्वीप में जनजातियों की कुल आबादी करीब 28077 है। इनमें से पांच जनजातियों की जनसंख्या 500 से भी कम है।