पर्यावरण मंत्री ही नहीं लेखक और पायलट भी थे दवे, 18 घंटे तक उड़ाया था प्लेन

Edited By ,Updated: 18 May, 2017 02:04 PM

anil madhav dave was also a writer and the pilot

पिछले साल पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नदी संरक्षण के विशेषज्ञ और ग्लोबल वार्मिंग पर बने संसदीय मंच के सदस्य थे। पर्यावरण एक एेसा विषय था, जो उनके दिल के बेहद करीब था।

नई दिल्ली: पिछले साल पर्यावरण मंत्री बने अनिल माधव दवे नदी संरक्षण के विशेषज्ञ और ग्लोबल वार्मिंग पर बने संसदीय मंच के सदस्य थे। पर्यावरण एक एेसा विषय था, जो उनके दिल के बेहद करीब था। अपने जीवन के शुरूआती दिनों से ही दवे सामाजिक कार्यों से जुड़े थे। नदी संरक्षण के लिए उन्होंने ‘नर्मदा समग्र’ नामक गैर सरकारी संगठन की स्थापना की थी। मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सांसद रहे दवे को भाजपा में त्रुटिहीन सांगठनिक कौशल वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था। वह लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। वह वर्ष 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उनकी रणनीति उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हार का सबब बनी। इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया।

निजी पायलट थे दवे
एनसीसी एयर विंग कैडेट के तौर पर उन्होंने उड़ान संबंधी शुरुआती प्रशिक्षण लिया और इसमें जीवनभर का जुनून तलाश लिया। वह निजी पायलट लाइसेंस धारक थे और एक बार उन्होंने नर्मदा के तट के आसपास 18 घंटे तक सेसना विमान उड़ाया था।

लेखक भी थे दवे
राज्यसभा सांसद के तौर पर वह ‘ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज’ के मुद्दे पर बने संसदीय मंच के सदस्य रहे। इंदौर के गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में परास्नातक करने वाले दवे की साहित्य में गहरी रूचि थी और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं। दवे का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बारनगर में 6 जुलाई 1956 को हुआ था। उनकी माता का नाम पुष्पा और पिता का नाम माधव दवे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विरासत उन्हें अपने दादा दादासाहेब दवे से मिली थी। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आरएसएस का प्रचारक बनने का फैसला किया। वह वर्षों तक संघ के समूहों के बीच बड़े हुए। वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा में शामिल किया गया।

राजनीतिक सफर
दवे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार थे और वर्ष 2003, 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान और वर्ष 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख रहे। उन्हें बूथ स्तरीय प्रबंधन एवं नियोजन के लिए जाना जाता था। दवे को वर्ष 2009 में राज्यसभा का सदस्य चुना गया। वह विभिन्न समितियों में शामिल रहे और भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2013 पर बनी प्रवर समिति के अध्यक्ष भी रहे। दवे ने भोपाल में वैश्विक हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने सिंहस्थ (कुंभ) मेला के अवसर पर उज्जैन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था।

नेताओं ने जताया दुख
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी,लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और केन्द्रीय मंत्रियों ने वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मंत्री के निधन की खबर से वह दुखी हैं। उन्होंने कहा कि दवे पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर काफी सक्रिय और संवदेनशील थे। काम के प्रति उनका समर्पण सराहनीय है। दवे के परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवदेनाएं।’’

दवे के सम्मान में आधा झुका रहेगा राष्ट्रीय ध्वज
दवे के सम्मान में दिल्ली और सभी राज्यों की राजधानियों में सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे।

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