Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jun, 2017 10:01 AM
सोशल मीडिया की शुरूअात लोगों को एकदूसरे से जोड़ने के लिए की गई थी
नई दिल्ली: सोशल मीडिया की शुरूअात लोगों को एकदूसरे से जोड़ने के लिए की गई थी, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया अफवाह फैलाने का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। कुछ लोगों की दूषित मानसिकता के चलते यह दुर्भावना और वैमनस्यता फैलाने का हथियार बनता जा रहा है। इसलिए फेसबुक, व्हॉट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए चलाए जा रहे देश विरोधी प्रोपेगेंडा पर नकेल कसने के लिए अब माेदी सरकार नई सोशल मीडिया पॉलिसी लाने की तैयारी में है।
22 जून को इस पर गृह मंत्रालय में एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें इस प्लान को कैसे लाना हौ सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में कहा गया कि वर्तमान समय में सिर्फ कुछ 'डूज' और 'डोन्टर' ही सोशल मीडिया में एन्टी इंडिया प्रोपेगेंडा रोकने के लिए मौजूद हैं। इसको कैसे सशक्त और प्रभावी करना होगा इस पर भी चर्चा हुई है। सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा को फैलाने वालों पर कानूनी शिकंजा कैसे कसा जा सकता है। क्या अलग से एन्टी इंडिया प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के लिए कानून लाया जाए या मौजूदा कानून में बदलाव कर उसको मजबूत किया जाए, उस पर भी चर्चा हुई।
सरकार का यह कदम उन घटनाओं के बाद काफी अहम हो जाता है, जहां पर आतंकियों और देश विरोधी तत्वों ने सोशल मीडिया का प्रयोग कर लोगों को भड़काने का काम किया है। कई बार ऐसी घटनाएं भी हुईं जिनमें सोशल मीडिया के जरिए कोई अफवाह फैलाई गई। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और देश के कई हिस्सों में तनाव फैला।