सिख विरोधी दंगा मामला: अदालत ने सज्जन, अन्य की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

Edited By ,Updated: 24 Oct, 2016 09:13 PM

anti sikh riots case court gentle reserved the order on a petition filed by other

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले को स्थानान्तरित करने की मांग वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार...

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले को स्थानान्तरित करने की मांग वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य के आवेदन पर अपना आदेश आज सुरक्षित रखा। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ के एक सदस्य पर पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है। दलीलों के दौरान, सीबीआई ने न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति पीएस तेजी की पीठ से कहा कि ये याचिकाएं खारिज होनी चाहिए क्योंकि यह कार्यवाही में देरी का प्रयास है।  

कुमार और अन्य ने अपनी याचिकाओं में आरोप लगाया है कि न्यायमूर्ति तेजी को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने इस मामले में पहले भी सुनवाई की थी जब वह निचली अदालत में न्यायाधीश थे। दलीलों का जवाब देते हुए सीबीआई ने कहा कि न्यायमूर्ति तेजी ने इस मामले की सुनवाई कार्यवाही कभी नहीं की और निचली अदालत में न्यायाधीश रहते हुए केवल जमानत याचिकाओं पर विचार किया था क्यांेकि वह उस समय सत्र न्यायाधीश होने के नाते जमानत के मामलों को निपटा रहे थे।  
कुमार को 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में भीड़ द्वारा पांच सिखों की हत्या से जुड़े एक मामले में 2013 में निचली अदालत द्वारा बरी किया गया था। इस मामले में तीन साल की सजा पाने वाले और फिलहाल जमानत पर चल रहे पूर्व विधायक महेंद्र यादव ने भी आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति तेजी इस मामले में बहुत रूचि ले रहे हैं और उन्हें इन अपीलों पर सुनवाई से खुद हट जाना चाहिए। दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने इन याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि इस तरह के आरोपों पर अदालत को विचार नहीं करना चाहिए। 

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