Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 05:55 PM
हमले की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के तहत सेना अब अपने मुख्य लड़ाकू टैंक टी-90।
नई दिल्ली: हमले की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों के तहत सेना अब अपने मुख्य लड़ाकू टैंक टी-90 को और ताकतवर बनाने के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसके तहत टी-90 को तीसरी पीढ़ी के एक मिसाइल सिस्टम से लैस करने की तैयारी चल रही है। मौजूदा समय में यह टैंक एक लेजर निर्देशित आईएनवीएआर मिसाइल सिस्टम से लैस है और सेना सूत्रों के मुताबिक, इसे एक थर्ड जेनरेशन गन लॉन्ड मिसाइल से रिप्लेस करने का फैसला किया गया है।
टी-90 आक्रामक हथियारों का मुख्य आधार
रूस निर्मित टी-90 टैंक भारतीय सेना के आक्रामक हथियारों का मुख्य आधार है। सूत्रों ने बताया कि तीसरी पीढ़ी की मिसाइल को 800-850 एमएम की डीओपी हासिल करनी चाहिए और वह दिन के साथ-साथ रात में भी 8 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होगी। सूत्रों ने बताया कि ये मिसाइलें स्थिर लक्ष्यों के साथ-साथ गतिशील लक्ष्यों को भेदने में भी सक्षम होगी।
ऊंचाई में भी हमला करने की बढ़ेगी क्षमता
सेना टी-90 टैंकों के लिए मॉड्यूलर इंजन लगाने की परियोजना पर भी काम कर रही है ताकि ऊंचाई पर होने वाली लड़ाई में भी हमला करने की उसकी क्षमताएं बढ़ सकें। क्षेत्र में उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार करते हुए सरकार ने सेना की आक्रमण क्षमता बढ़ाने के लिए पिछले कुछ महीनों में कई कदम उठाए हैं। पिछले महीने सरकार ने सेना को यह अधिकार दिया था कि वह छोटी अवधि के लिए होने वाले भीषण युद्ध के लिए लडऩे की अपनी तैयारी को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण युद्धक उपकरण सीधे तौर पर खरीद सकती है।