Edited By ,Updated: 20 Jan, 2015 09:55 PM
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि महज परिस्थितजन्य सबूतों के आधार पर किसी शख्स को दोषी तो ठहराया जा सकता है,
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि महज परिस्थितजन्य सबूतों के आधार पर किसी शख्स को दोषी तो ठहराया जा सकता है, पर फांसी की सजा देना मुश्किल है शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ में 2004 में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के दोषी सोनू सरदार की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर किसी आरोपी को दोषी तो ठहराया जा सकता है, लेकिन उसे मृत्युदंड देना मुश्किल है। खासकर ऐसे हालात में जब इस मामले मे शामिल पांच आरोपियों में से तीन अभी तक फरार हों और एक नाबालिग हो।
न्यायालय ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार की यह दलील सही नहीं है कि सोनू ही इस हत्याकांड का जिम्मेदार है। लिहाजा सरकार को यह साबित करना होगा कि सोनू के वार से ही पांच लोगों की मौत हुई। सोनू सरदार की फांसी पर शीर्ष अदालत ने रोक लगाई हुई है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पिछले साल अप्रैल में सोनू की दया याचिका खारिज कर दी थी जबकि शीर्ष अदालत ने भी उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। हालांकि पिछले साल न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले में कहा गया था कि पुनर्विचार याचिका की सुनवाई खुली अदालत में कम से कम तीन सदस्यीय खंडपीठ करेगी और याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिए कम से कम आधा घंटा समय दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ का यह मामला बेहद खास है क्योंकि इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने खुद के फैसले पर सवाल उठाए थे और राज्य सरकार को कहा था कि इस मामले में सिर्फ सोनू को ही गिरफ्तार किया गया, लेकिन यह साबित करना जरूरी है कि सोनू के वार से ही मौत हुई थी। फिलहाल सोनू सरदार को न्यायालय से मिली राहत बकरार रहेगी और उसकी फांसी पर लगी रोक जारी रहेगी। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी की तारीख मुकर्रर की।