टैटू बनवाने वाले जरूर पढ़ें ये खबर

Edited By ,Updated: 03 Apr, 2015 11:27 AM

टैटू बनवाना आज के टाइम में एक टशन सा बन गया है। लोग देखा-देखी ये शौक के चलते टैटू बनवाने में हिचकते नहीं हैं लेकिन अब टैटू बनवाने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है।

फरीदाबाद (अनिल राठी): टैटू बनवाना आज के टाइम में एक टशन सा बन गया है। लोग देखा-देखी ये शौक के चलते टैटू बनवाने में हिचकते नहीं हैं लेकिन अब टैटू बनवाने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है। जो लोग अपने टैटू बनवाते हैं वो अब किसी को भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकेंगे। इसे लेकर स्वास्थ्य निदेशालय हरियाणा ने जिला सिविल सर्जन को आदेश जारी किए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार टैटू बनवाने वाले लोग कई तरह की एलर्जी और गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। इनके द्वारा डोनेट किया गया ब्लड किसी स्वस्थ व्यक्ति को बीमारी से ग्रसित कर सकता है। उल्लेखनीय है कि अब मशीन के जरिए टैटू बनाए जाते हैं और इसमें सूई का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बार इस्तेमाल करने से संक्रमित हो जाती है और दोबारा इस्तेमाल करने से सूई पर लगा संक्रमण दूसरे व्यक्ति के खून में पहुंच कर कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है।

स्वास्थ्य अधिकारी का मानना है कि टैटू बनवाने में मेटल कलरों का इस्तेमाल किया जाता है और वह मेटल खून में पहुंच जाता है। इससे ब्लड में विकार पैदा हो जाता है और इसे नॉर्मल होने में काफी समय लग जाता है। डॉक्टर और पैथलॉजिस्ट भी मानते हैं कि टैटू बनवाने वाले लोग ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।

डॉक्टरों का कहना है कि इससे इन्फेक्शन ट्रांसफर होने का खतरा है और इस खतरे का विंडो पीरियड लगभग 6 महीने से 12 महीने का होता है। इसलिए कम से कम 6 से 12 महीने तक लोगों को ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए। इस संबंध में एस.एम.ओ डॉ विरेंद्र यादव ने बताया कि निश्चित रूप से इससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा है।

टैटू बनाने के लिए जिस तरह का नीडल का यूज होता है, उससे इन्फेक्शन का खतरा रहता है। जो नीडल यूज होते हैं, उसे अगर ठीक से स्ट्रेलाइज नहीं किया जाता है तो उससे ब्लड ट्रांसमिशन होने का खतरा है। इसलिए सरकार का यह प्रयास सही है और लोगों को भी इस बारे में अलर्ट रहना चाहिए। यदि किसी को ब्लड डोनेट करना पड़े तो उसके लिए कुछ प्रावधान हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों से उसके ब्लड की अच्छी तरह जांच कराई जाए। जिससे यह पता चल सके कि व्यक्ति एचआईवी, किसी प्रकार की एलर्जी और हैपेटाइटिस बी या सी से तो ग्रसित नहीं है। इसके अलावा उसे टैटू बनवाएं 12 महीने से ज्यादा का समय हो गया है या नहीं।उन्होंने कहा की सरकार को चाहिए की वह मापदंडो के आधार पर टैटू स्टूडियो अधिकृत करे जो स्वास्थ्य के हिसाब से हाइजीनिक हो और सभी मापदंडो को पूरा करते हो।

क्या कहते हैं टैटू एक्सपर्ट
इस बारे में कैमराटीम ने टैटू एक्सपर्ट से संपर्क किया और इस बारे में उनकी राय जानी। कई इंटरनैशनल टैटू सेमीनार आयोजित कर चुके टैटू एक्सपर्ट भारत सुनेजा ने स्वास्थ्य विभाग के जारी निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि यदि हाइजीनिक टैटू स्टूडियो में टैटू बनवाया जाए तो वह किसी भी रूप में घातक नहीं हो सकता।

उन्होंने बताया की टैटू बनाने की मशीन से लेकर तमाम अन्य उपकरण और सामान विदेशों से आयात किया जाता है जिसमे खासकर सुई और इंक डिस्पोजेबल होते हैं जो एक बार इस्तेमाल करने के बाद फैंक दिए जाते है लेकिन यह सच है कि बहुत से टैटू कलाकार सस्ते में टैटू बना रहे हैं और जाहिर- सी बात है कि ऐसे अनहाइजीनिक तरीके से बने टैटू लोगो के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशों में टैटू स्टूडियो खोलने से पहले टैटू कलाकार को स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना होता है लेकिन भारत में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, यहां झोलाछाप डाक्टरों की तरह जगह-जगह टैटू कलाकार सस्ते के लालच में बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में विदेशी तर्ज पर सरकार को उन्हीं टैटू स्टूडियो को परमिशन देनी चाहिए जो स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों के मुताबिक़ काम करें।

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