जम्मू कश्मीर: अब आईआईटी और आईआईएम पर उठने लगा विवाद

Edited By ,Updated: 18 Jun, 2015 01:49 PM

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मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में जब पी.डी.पी.-भाजपा ने राज्य की सत्ता संभाली तो दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते में क्षेत्रीय संतुलन के तहत आई.आई.टी. और आई.आई.एम. जम्मू संभाग तथा एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंसिज) कश्मीर...

जम्मू: मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में जब पी.डी.पी.-भाजपा ने राज्य की सत्ता संभाली तो दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते में क्षेत्रीय संतुलन के तहत आई.आई.टी. और आई.आई.एम. जम्मू संभाग तथा एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंसिज) कश्मीर संभाग में स्थापित करने पर सहमति बनी थी। बाद में, एम्स को लेकर जम्मू में छिड़े जन आंदोलन के चलते दबाव में आई भाजपा केंद्र सरकार को सैद्धांतिक तौर पर जम्मू में दूसरा एम्स स्थापित करने के लिए तैयार कर लिया, इसके बावजूद आंदोलन जारी है और 19 जून से तीसरी बार जम्मू बंद का आह्वान किया गया है।

इसकी देखा-देखी कश्मीर में भी कुछ पार्टियों एवं अन्य संगठनों ने जम्मू की तर्ज पर कश्मीर में दूसरा आई.आई.टी. और आई.आई.एम. स्थापित करने को लेकर प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसके चलते सरकार सकते में है कि कहीं जम्मू में एम्स स्थापित करने पर बन रही सहमति से हाथ न खींचने पड़ जाएं, अथवा आई.आई.टी. और आई.आई.एम. में से एक संस्थान कश्मीर शिफ्ट न करना पड़ जाए।
निस्संदेह, महाराजा के समय से ही जम्मू एवं कश्मीर संभागों के बीच क्षेत्रीय भेदभाव की बात उठती रही है। शायद इसी धारणा को धाराशायी करने एवं सभी क्षेत्रों को साथ लेकर चलने का संदेश देने के लिए महाराजा को दरबार मूव प्रथा की शुरुआत करने पर विवश होना पड़ा हो।

राज्य की 2 राजधानियां बनने के बावजूद आजादी के बाद आज तक भी कोई सरकार दोनों संभागों के लोगों को संतुष्ट करने में कामयाब नहीं हुई कि वह संपूर्ण जम्मू-कश्मीर के समान विकास के प्रति दृढ़ संकल्प है। मामले चाहे विकास परियोजनाओं का हो अथवा सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी का, हर सरकार पर किसी क्षेत्र विशेष को तरजीह देने एवं दूसरे क्षेत्र से भेदभाव किए जाने के आरोप लगते रहे हैं।
पिछले कुछ दशकों की बात करें तो भाजपा ही जम्मू के साथ भेदभाव की आवाज उठाने की झंडाबरदार रही है। आज भाजपा सत्ता में है तो विपक्षी कांग्रेस, नैशनल पैंथर्स पार्टी ही नहीं, बल्कि कश्मीर आधारित नैशनल कांफ्रैंस की जम्मू इकाई ने भी भेदभाव से इसी मुद्दे पर भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दिलचस्प बात यह कि जम्मू में एम्स के मुद्दे पर भाजपा को घेर रही सिविल सोसायटी की
को-ऑर्डिनेशन कमेटी को विपक्ष ही नहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी संगठनों का समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार, जम्मू से भेदभाव के जिस मुद्दे को भाजपा आज तक कांग्रेस एवं नैशनल कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल करती आई है, आज उसी मुद्दे पर भाजपा घिरती नजर आ रही है। इससे भी दिलचस्त तथ्य यह है कि जम्मू से एम्स छिनने की गूंज तो हर तरफ सुनाई पड़ती है, लेकिन भाजपा जम्मू को आई.आई.टी. और आई.आई.एम. दिलाने में कामयाब रही, इसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा।

जम्मू में एम्स को लेकर उठे शोर के मद्देनजर यही स्थिति अब कश्मीर में बनती दिख रही है। वहां भी पी.डी.पी. को कथित तौर पर जम्मू से एम्स छीनकर लाने का श्रेय कोई नहीं दे रहा, अपितु आई.आई.टी. और आई.आई.एम. को लेकर प्रदर्शन जरूर शुरू हो गए हैं। हालांकि, कश्मीर में इन संस्थानों को लेकर रोष-प्रदर्शन का सिलसिला अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इससे संदेह नहीं कि जम्मू में दूसरा एम्स स्थापित होने की औपचारिक घोषणा होने के साथ ही कश्मीर में सरकार विरोधी मुहिम को ऑक्सीजन मिलेगी। इसलिए सरकार में शामिल पी.डी.पी. और भाजपा के लिए ‘इधर कुआं, उधर खाई - दोनों तरफ से शामत आई’ जैसी स्थिति बनती जा रही है।

सवाल यह भी है कि सैंट्रल यूनिवर्सिटी के बाद यदि राज्य में जम्मू एवं कश्मीर के लिए अलग-अलग एम्स स्थापित हुए, इसके बाद अलग-अलग आई.आई.टी. और आई.आई.एम. की मांग अर्थात यह सिलसिला कहां जाकर रुकेगा और क्या केंद्र सरकार इन मांगों को पूरा करने में सक्षम होगी? ऐसे में, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जम्मू में एम्स स्थापित करवाने का श्रेय लेने को लेकर मची होड़ दीर्घकालीन परिदृश्य में जम्मूवासियों के विकास के रास्ते की बाधा भी बन सकती है।

संयम से काम लें, एम्स जल्द : डॉ. निर्मल

उप-मुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह का कहना है कि जम्मू संभाग के लोगों को संयम से काम लेना चाहिए, क्योंकि भाजपा के सत्ता में रहते जम्मू के हितों पर आंच आने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू में एम्स की स्थापना को लेकर गंभीर है, उनके आग्रह पर केंद्र सरकार ने भी इसके लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। केंद्र सरकार द्वारा जल्द ही एम्स की औपचारिक घोषणा किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने विश्वास जताया कि जम्मू में एम्स की स्थापना जल्द होगी। इसके लिए उन्हें लोगों के सहयोग की जरूरत है, इसलिए राजनीतिक दलों एवं अन्य संगठनों को भी अपने निजी एजैंडे से ऊपर उठकर जनहित के मुद्दों पर सरकार का सहयोग करना चाहिए।

 

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