वन रैंक वन पेंशन का ऐलान, रक्षा मंत्री ने कहा- हमने अपना वादा पूरा किया

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2015 07:31 PM

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वन रैंक वन पेंशन योजना को लेकर को लेकर रक्षा मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों सेना प्रमुख मौजूद है।

नई दिल्लीः 40 साल से लंबित वन रैंक वन पैंशन पर आखिर आज सरकार ने ऐलान कर ही दिया। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने प्रैस कांफ्रेंस कर कहा कि सरकार ने अपना वादा पूरा किया है। पर्रिकर ने कहा ओआरओपी के लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपए रखें जाएंगे और समय के मुताबिक बजट बढ़ाया जाएगा। 

रक्षा मंत्री ने बताया, वन रैंक वन पेंशन योजना 1 जुलाई 2014 से लागू होगी और पूर्व सैनिकों को चार छमाही किश्तों में एरियर मिलेगा। समाद पद, समान पद पर समान पेंशन मिलेगी। पूर्व सैनिकों की विधवाओं को बकाया एकमुश्त दिया जाएगा। इस पर 8 हजार से 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। वन रैंक वन पेंशन के लिए 2013 को आधार वर्ष माना जाएगा।

पर्रिकर ने बताया कि हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी और स्वैच्छ‍िक रिटायरमेंट यानी वीआरएस लेने वाले सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन का ऐलान बाद में किया जाएगा। एक सदस्यीय न्यायिक कमेटी भी बनाई जाएगी।

न खुश हैं पूर्व सैनिक

वन रैंक वन पैंशन पर पूर्व सैनिकों ने बयान दिया है कि वे सरकार के 'वन रैंक वन पैंशन' से संतुष्ट है। हालांकि, पूर्व सैनिक सतबीर सिंह ने कहा कि वीआरएस(VRS) मामले पर उन्हें सरकार के प्रस्ताव पर एतराज है और वे इस पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे। VRS वालों पर सरकार 5 लोगों की कमेटी बनाए। VRS लेने वालों को OROP से बाहर रखना उन्हें मंजूर नहीं है।

समीक्षा पर फंसा पेंच

पूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकार एक साल में पैंशन की समीक्षा को तैयार नहीं है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो ये वन रैंक-वन पैंशन नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि वो दो साल में समीक्षा किए जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन साल या पांच साल पर मानने का कोई सवाल ही नहीं है। पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार का कहना है कि थोड़े पैसे बचाने हैं  इसलिए अगर वो वन रैंक-वन पैंशन को एक जून 2014 से लागू करती है तो भी उन्हें एतराज़ नहीं होगा।

क्या है OROP?

1980 के दशक में वन रैंक वन पैंशन को लेकर मुहिम शुरू हुई जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति भी जताई लेकिन फिर भी ये अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई थी। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई जवान एक जनवरी 1996 से पहले रिटायर हुआ है तो उसे हर महीने 3764 रुपए पैंशन मिलती है, लेकिन अब अगर कोई जवान रिटायर होता है तो उसकी पैंशन 6860 रुपए मिलती है। चुनावी साल में यूपीए सरकार ने इस मांग को मान लिया था और जिसके बाद तय हुआ था कि साल 2006 से पहले रिटायर सैनिकों को 2006 के बाद रिटायर होने वाले सैनिकों के बराबर पेंशन मिलेगी।

 वन रैंक वन पेंशन का इतिहास  

- 1973 तक सेना में वन रैंक वन पेंशन थी। उन्हें आम लोगों से ज्यादा वेतन मिलता था।

- 1973 में आए तीसरे वेतन आयोग ने सशस्त्र बलों का वेतन आम लोगों के बराबर कर दिया।

- सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वन रैंक वन पेंशन पर आगे बढ़ने का आदेश दिया।

- मई 2010 में सेना पर बनी स्थाई समिति ने वन रैंक वन पेंशन लागू करने की सिफारिश की।

- सितंबर 2013 – बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान वन रैंक वन पेंशन लागू करने का वादा किया।

- फरवरी 2014 – यूपीए सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया और 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया।

- जुलाई 2014 – मोदी सरकार ने बजट में वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा उठाया और इसके लिए अलग से 1000 करोड़ रुपए रखने की बात की।

- फरवरी 2015 – सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर वन रैंक वन पेंशन लागू करने को कहा।

 विदेशों में स्थिति  

- अमेरिका में सैनिकों को आम सेवाओँ के मुकाबले 15-20% तक अधिक वेतन मिलता है।

- ब्रिटेन में सैनिकों को आम सेवाओँ के मुकाबले 10% तक अधिक वेतन मिलता है।

- फ्रांस में सैनिकों को आम सेवाओँ के मुकाबले 15% तक अधिक वेतन मिलता है।

- पाकिस्तान में सैनिकों को आम सेवाओँ के मुकाबले 10 -15% तक अधिक वेतन मिलता है।

- जापान में सैनिकों को आम सेवाओँ के मुकाबले 19 - 29% तक अधिक वेतन मिलता है।

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