लालू के कभी करीबी रहे नेता ही उन्हें दे रहे हैं चुनौती

Edited By ,Updated: 04 Oct, 2015 12:48 PM

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के लिए ‘करो या मरो’ का संघर्ष बने बिहार विधानसभा के चुनाव में कभी बेहद करीब रहे नेता ही उनके आधार वोट में सेंध लगाकर उनकी लड़ाई को और भी कठिन बनाने में लगे हैं।

पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के लिए ‘करो या मरो’ का संघर्ष  बने बिहार विधानसभा के चुनाव में कभी बेहद करीब रहे नेता ही उनके आधार वोट में सेंध लगाकर उनकी लड़ाई को  और भी कठिन बनाने में लगे हैं।

यादव से राजनीति का ककहरा सीख कर लोकसभा चुनाव में उनकी ही बेटी मीसा भारती को पराजित करने  वाले केन्द्रीय स्वच्छता एवं पेयजल राज्य मंत्री रामकृपाल यादव, राजद प्रमुख के कभी नजदीकी मित्र और ‘थिंक टैंक’ के रूप में जाने जाने वाले पूर्व सांसद डा. रंजन प्रसाद यादव और मधेपुरा से राजद के टिकट पर सांसद बने जन अधिकार पार्टी (जाप) के मुख्य संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के अलावा राजद अध्यक्ष के दो साले पूर्व सांसद अनिरूद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव तथा सुभाष यादव तो उनके (लालू प्रसाद यादव) आधार वोट में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक ही रहे हैं। 

रही सही कसर उनके नये-नये समधी बने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) पूरी करने में लगी है। राजद अध्यक्ष के खिलाफ उपयोगिता और उनके आधार वोट में सेंध लगाने की क्षमता को ध्यान में रखकर ही भाजपा ने रामकृपाल यादव को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दी है। चुनाव प्रचार में भाजपा रामकृपाल यादव का भरपूर इस्तेमाल करना चाहती है। 

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के साथ नवादा, वारिसलीगंज, पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के साथ भभुआ, अरवल, वजीरगंज और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के साथ हसनपुर, मोरवा और मोहिउद्दीन नगर में उनकी सभाएं हो चुकी हैं।

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