विमुद्रीकरण एक बड़ा घोटाला, इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए : केजरीवाल

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 01:49 AM

arvind kejriwal

राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता की वकालत करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार भाजपा को अपनी संपत्ति के ब्यौरे की घोषणा करने की चुनौती दी और आरोप लगाया...

नई दिल्ली: राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता की वकालत करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार भाजपा को अपनी संपत्ति के ब्यौरे की घोषणा करने की चुनौती दी और आरोप लगाया कि विमुद्रीकरण को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि यह एक बड़ा घोटाला है।   

2014 के चुनाव में लगे धन का खुलासा करें PM मोदी
उन्होंने उन आरोपों को भी बकवास करार दिया जिसमें कहा गया था कि आप विमुद्रीकरण का इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि इससे पंजाब में पार्टी की संभावना को पलीता लग सकता है। केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी यह खुलासा क्यों नहीं करते हैं कि 2014 के चुनाव में धन किसने दिया था? सभी पार्टियों को ऐसा करना चाहिए चाहे वह सपा हो या बसपा। अमित शाह ने सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग सहित सभी एजेंसियों को मेरे खिलाफ इस्तेमाल किया लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला, नहीं तो वे अब तक हमें जेल भेज चुके होते।

PM मोदी पर साधा निशाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए शनिवीर को आरोप लगाया कि नोटबंदी के फैसले के बाद से सरकार को काले धन का एक भी पैसा नहीं मिल पाया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया फेसबुक पर सीधा प्रसारण में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के निर्णय के बाद देश से 50 दिनों का वक्त मांगा था लेकिन इन दस दिनों में सरकार काला धन का एक पाई भी किसी से नहीं निकाल सकी। केजरीवाल ने मोदी से अंबानी बंधुओं के साथ उनके रिश्ते के बारे में खुलासा करने और उनके (अंबानी बंधुओं ) स्वीस बैंक के खाता नंबरो को उजागर करने का साहस दिखाने को कहा। केजरीवाल ने कहा कि प्रत्येक राजनीतिक पार्टियों को अपने काले धन के बारे में खुलासा करना चाहिए।   

नोटबंदी आठ लाख करोड़ का घोटाला
इसके पहले केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा था कि मौजूदा नोटबंदी आठ लाख करोड़ का घोटाला है। हर देशभक्त और ईमानदार इसका पूरी ताकत से विरोध कर रहा है। इसका समर्थन केवल बेईमान लोग कर रहें हैं। उन्होंने कल कहा था कि केंद्र की ओर से नोटबंदी के निर्णय को वापस नहीं लेने का फैसले से साफ है कि सरकार का आम लोगों से कोई सारोकार नहीं है। 

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