Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Oct, 2017 04:29 PM
राजस्थान में उदयपुर जिले के जनजाति बहुल क्षेत्र आमोड़ पंचायत में स्वच्छता आंदोलन में मिसाल पेश करने पर स्वच्छता ही सेवा चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित बाबू बाई लोगों के लिए प्रेरणादायी बन गई हैं।
जयपुर: राजस्थान में उदयपुर जिले के जनजाति बहुल क्षेत्र आमोड़ पंचायत में स्वच्छता आंदोलन में मिसाल पेश करने पर स्वच्छता ही सेवा चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित बाबू बाई लोगों के लिए प्रेरणादायी बन गई हैं। बाबू बाई के अपने गहने गिरवी रखकर शौचालय बनाने पर गांव एवं अन्य जगहों पर लोग शौचालय बनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। एक महिला के खुले में शौच से मुक्ति पाने के लिए अपने गहने गिरवी रखकर शौचालय का निर्माण करने की जहां चारों तरफ प्रशंसा की जा रही हैं वहीं ग्रामीण इलाकों में इसका उदाहरण देकर लोग शौचालय बनाने के लिए आगे आने लगे हैं।
बाबू बाई के अनुसार वह अपने परिवार के खुले में शौच की चुनौती से दुखी थी। घर की बड़ी महिला होने के नाते वह अपनी बहू- बेटियों का इसके लिए घर से बाहर जाने को लेकर ज्यादा परेशानी थी। पति एवं पुत्र से भी उन्होंने इसका हल निकालने के लिए कहा गया, लेकिन राहत नहीं मिली। रोज खुले में शौच से शर्म की स्थिति का सामना करते-करते आखिर बाबूबाई ने अपना शौचालय बनाने की ठानी और अपने गहने गिरवी रखकर साढ़े चार हजार में शौचालय का निर्माण कराना शुरू कर दिया। बाद में बाबू बाई की हिम्मत एवं उत्साह को देखते हुए घर के अन्य सदस्य भी उनकी मदद के लिए आगे आये और बाबू बाई का सपना पूरा हो गया।
उल्लेखनीय है कि जिले के फलासिया आदिवासी खण्ड में आमोड़ पंचायत की बिखरी आबादी क्षेत्र तोमदार गांव की बाबूबाई को अपने गहने गिरवी रखकर शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफी) अभियान की आदर्श बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आरंभ किए गए सफाईगिरी पुरस्कार स्वच्छता ही सेवा चैंपियन से गांधी जयंती पर नई दिल्ली में सम्मानित किया गया था। सम्मानित होने के बाद नई दिल्ली से लौटने पर उदयपुर जिला कलक्टर विष्णुचरण मल्लिक ने बाबूबाई का अभिनंदन किया और इसके लिए उन्हें बधाई दी।