Edited By ,Updated: 10 Feb, 2017 03:13 PM
यूं तो बिहार और तमिलनाडु की राजनीति में दूर-दूर तक कोई समानता नहीं, लेकिन वीके शशिकला को देख राबड़ी की याद ताजा हो ही जाती है।
नई दिल्ली : यूं तो बिहार और तमिलनाडु की राजनीति में दूर-दूर तक कोई समानता नहीं, लेकिन वीके शशिकला को देख राबड़ी की याद ताजा हो ही जाती है। दोनों के बीच कई समानताएं हैं, जो राजनीतिक पंडितों को एक बार फिर बिहार की राजनीति की याद दिला देती है। दरअसल, जयललिता की मौत के बाद पन्नीरसेल्वम को सीएम बनाया गया लेकिन हाल ही में उन्होंने शशिकला के सीएम बनने का रास्ता साफ करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन अब वह फिर चाह रहे हैं कि वही मुख्यमंत्री बने रहें, जबकि विधायक बल शशिकला के साथ है।
राबड़ी को पत्नी का तो शशिकला को दोस्ती का मिला लाभ
शशिकला और राबड़ी देवी दोनों ही सीधे घर से निकलकर राजनीति में पहुंची हैं। लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था। राबड़ी देवी के पास राजनीति का कोई अनुभव नहीं था। राबड़ी को पत्नी होने का लाभ मिला जबकि शशिकला को करीबी दोस्त। राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री बनीं तो उनके चुनाव न लडऩे को लेकर भी सवाल उठे थे। वहीं शशिकला को लेकर भी उठ रहे हैं कि वह कभी चुनावों में नहीं उतरी।
अचानक ही लॉ से हाई प्रोफाइल बनी दोनों
जब राबड़ी सीएम बनी थीं तो लालू जेल में थे। राबड़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखकर सत्ता संभाले रखने की थी। इसके साथ ही यह प्रमुख बात रही कि लालू के मुख्यमंत्री होते हुए राबड़ी और जयललिता के सामने शशिकला मीडिया से दूर रही। या यूं कहें कि दोनों ही लॉ प्रोफाइल में रहीं और अचानक से हाई प्रोफाइल बन गई। राबड़ी पर आरोप लगा कि उन्हें कुर्सी भाग्यवश मिल गई क्योंकि उनके पति लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे। वही हाल शशिकला के साथ भी है। लोगों का कहना है कि वह जयललिता की दोस्त हैं सिर्फ इसलिए मुख्यमंत्री बना दिया जाए यह ठीक नहीं।