Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 29 Mar, 2018 05:56 PM
2019 के लोकसभा को केंद्र में रखते हुए यूपी की योगी सरकार ने दलित वोंटो को आरएसएस से जोड़ने की नई कवायद की है। इसके लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में इस फैसला लिया गया। जिसके बाद आंबेडकर के साथ रामजी जोड़ा जाएगा। अब भीमराव रामजी आंबेडकर...
नेशनल डेस्क: 2019 के लोकसभा को केंद्र में रखते हुए यूपी की योगी सरकार ने दलित वोंटो को आरएसएस से जोड़ने की नई कवायद की है। इसके लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में इस फैसला लिया गया। जिसके बाद आंबेडकर के साथ रामजी जोड़ा जाएगा। अब भीमराव रामजी आंबेडकर ही बाबा साहब का पूरा नाम होगा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का नाम बदले जाने पर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का कहना है कि नाम बदले जाने में कोई बुराई नहीं है। महाराष्ट्र में और कई जगह पर पिता का नाम भी पुत्र के नाम के साथ लिखा जाता है।
पहली बार नहीं है
रामदास अठावले ने कहा कि यह पहली बार नहीं है। भीमराव अंबेडकर के जीवन में उनके पिता राम जी का भी काफी योगदान रहा है। इसलिए अगर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखा गया है, तो ठीक है। इसमें कोई विरोध की बात नहीं है, कोई नाराजगी की बात नहीं है। उदित राज के विरोध जताने पर रामदास अठावले का कहा, 'उदित राज के अपने विचार हो सकते हैं। उनकी नाराजगी हो सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि इस से कोई नाराज नहीं होगा। दलितों में नाराजगी होगी, ऐसा नहीं है। मैं ऐसा नहीं मानता हूं.।
केवल यूपी में लागू
अठावले ने बताया कि 'यह उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला है, पूरे देश में लागू नहीं होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने लागू किया है पूरे देश में नहीं है। मैं तो शुरू से ही डॉ भीमराव आंबेडकर बोलता हूं और आगे भी डॉ भीमराव आंबेडकर ही बोलूंगा।' बता दें कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का नाम बदलने पर बीजेपी सांसद उदित राज ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है। इससे दलित भी नाराज हैं।
नाम बदलने के फैसले से दलित नाराज
उदित राज का कहना है कि डॉ भीमराव आंबेडकर रहे नहीं। जिस नाम से वह परिचित होना चाहते थे या जो नाम रखना चाहते थे। उसमें रामजी नहीं है। सुबह से तमाम ऐसे मैसेज आ रहे हैं, जिससे लगता है दलित नाराज हैं। व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति की आजादी है। उसमें छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। किस परिचय से, किस नाम से, किस टाइटल से उसकी पहचान होनी चाहिए ये उसका अधिकार है। इस तरह से तो फिर श्रीमती सोनिया गांधी है तो उनका भी नाम बदला जाएगा। उनको नेहरू रखना चाहिए, क्योंकि उनके पूर्वज नेहरु थे। मुझे नहीं लगता, इसमें कोई छेड़छाड़ करनी चाहिए।