Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Aug, 2017 04:00 PM
भारत-चीन के बीच डोकलाम मामले को सुलझाने में भूटान की अहम भूमिका रही है...
थिम्पूः भारत-चीन के बीच डोकलाम मामले को सुलझाने में भूटान की अहम भूमिका रही है। चीन के राजनयिक, राजनीतिक और सैन्य दबाव के बावजूद इस विवाद में भूटान ने क्षेत्रीय अखंडता को लेकर अपना पक्ष मजबूत रखा। जून के मध्य में शुरू हुए इस विवाद के बाद से भारत और भूटान के बीच लगातार राजनयिक संपर्क बना रहा, लेकिन इसके साथ ही चीन की ओर से भूटान पर काफी राजनयिक दबाव डाला जा रहा था। भारत में तैनात चीन के डिप्लोमैट भूटान पहुंच रहे थे।
चीन ने यह दावा भी किया था कि भूटान ने डोकलाम को उसका हिस्सा मान लिया है। हालांकि, भूटान ने इससे इंकार किया था। चीन लंबे समय से भूटान पर औपचारिक तौर पर राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए दबाव डालता रहा है। भूटान ने तीनों देशों की सीमा के पास मौजूद डोकलाम में भारतीय सेना की तैनाती की अनुमति दी थी। भूटान ने 2012 के समझौते का भी पालन किया है जिसमें तीनों देशों की सीमा के पास मौजूद सभी स्थानों से जुड़े विवादों का हल त्रिपक्षीय बातचीत के जरिए निकालने पर सहमति दी गई थी।
डोकलाम विवाद पर नजर रखने वाले भूटान के एक एक्सपर्ट ने कहा, 'भारत और चीन के बीच मौजूद भूटान के लिए इस मामले में नाजुक संतुलन बनाना आसान नहीं था। चीन की तरह भूटान ने कोई बयानबाजी नहीं की और कूटनीति को अपना काम करने दिया। भूटान पर सबकी नजरें बनी हुई थीं। उसने इस मामले में सतर्कता के साथ कदम बढ़ाए और 29 जून को पहला बयान जारी करने के बाद उसने मंगलवार को एक स्पष्ट बयान में कहा कि संबंधित देशों के बीच मौजूदा समझौतों के आधार पर यथास्थिति बरकरार रखनी चाहिए।'