साल 2016: नीतीश को पूर्ण शराबबंदी की  मिली वाह-वाही, अपनों से ही फजीहत

Edited By ,Updated: 30 Dec, 2016 11:26 AM

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बिहार में पूर्ण शराबबंदी और Þसात निश्चय पर अमल शुरू करने के कारण वर्ष 2016 में नीतीश सरकार को जहां खूब वाहवाही मिली वहीं सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के ÞकारनामोंÞ के कारण उसकी किरकिरी भी हुई ।

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी और Þसात निश्चय पर अमल शुरू करने के कारण वर्ष 2016 में नीतीश सरकार को जहां खूब वाहवाही मिली वहीं सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायकों के ÞकारनामोंÞ के कारण उसकी किरकिरी भी हुई ।  बिहार में गुजरते वर्ष 2016 का एजेंडा सीएम नीतीश कुमार ने वर्ष 2015 के 26 नवंबर को ही एक अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू करने की घोषणा कर तय कर दिया था। मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2015 के तहत प्रथम चरण  में पूरे राज्य में एक अप्रैल से देशी शराब के उत्पादन, सेवन और बिक्री पर रोक लगा दी गई। 
 

साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में विदेशी शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। सरकार ने शराबंदी के समर्थन में प्रबल जन समर्थन और महिला समूहों की ओर से शहरी क्षेत्रों में भी विदेशी शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग को देखते हुए पांच अप्रैल से सम्पूर्ण राज्य में विदेशी शराब को प्रतिबंधित करने का निर्णय ले लिया। सरकार के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी । इसी बीच सरकार ने पूर्ण शराबबंदी को और कड़ाई  से अमल में लाने के लिए नई उत्पाद नीति 2016 को विधानमंडल के मानसून सत्र में पेश किया जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इस नए कानून में घर से शराब की बोतल बरामद होने पर परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को गिरफ्तार करने और गांव पर सामूहिक जुर्माना करने जैसे प्रावधान है। 
 

इसी दौरान पटना उच्च न्यायालय ने 30 सितम्बर को बिहार में पूर्ण शराबबंदी से संबंधित सरकार की अधिसूचना  को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने शराबबंदी से संबंधित पांच अप्रैल 2016 को जो अधिसूचना जारी की थी वह संविधान के अनुकूल नहीं है, इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने 20 मई को इस मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय का फैसला मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2015 से संबंधित राज्य सरकार की 05 अप्रैल 2016 को जारी अधिसूचना से जुड़ा था, इसलिए मानसून सत्र के दौरान विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित नए बिहार मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016 जिस राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी थी उसे दो अक्टूबर से लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। 
 

उधर श्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी के बाद मिल रहे जन समर्थन से उत्साहित होकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की कमान संभालने का फैसला ले लिया । 23 अप्रैल को जदयू की औपचारिक तौर पर कमान संभालने के बाद कुमार ने एलान भी कर दिया कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ महागठबंधन बनाने में उत्प्रेरक की भूमिका अदा करेंगे जिससे वर्ष 2019 में मोदी सरकार की विदाई सुनिश्चित होगी। 

कुमार इसके बाद सबसे पहले 10 मई को पड़ोसी राज्य झारखंड गये और वहां धनबाद से शराबबंदी को लेकर राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की। इसके बाद कुमार ने उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और कई अन्य राज्यों में जाकर इसके लिए मुहिम चलाई। मुख्यमंत्री एक ओर जहां शराबबंदी के जरिये नशे के खिलाफ बड़े वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे थे वहीं दूसरी ओर नवबर 2015 के विधानसभा चुनाव के समय किये गए वादों को पूरा करने की दिशा में कदम उठाकर अपनी छवि को और निखार रहे थे । वर्ष 2016 की शुरुआत में ही विकसित बिहार के सात निश्चय के क्रियान्वयन को प्राथमिकता देते हुए उसके मिशन मोड में क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण और परामर्श के लिए 25 जनवरी को नीतीश सरकार ने बिहार विकास मिशन का गठन कर दिया।   


नीतीश सरकार ने सात निश्चय में शामिल सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षणÞ देने का निश्चय 20 जनवरी को लागू कर दिया। इसी तरह Þहर घर, नल का जलÞ और Þशौचालय निर्माण, घर का सम्मान निश्चय 27 सितम्बर को लागू किया गय। आर्थिक हल, युवाओं को बलÞ निश्चय के तहत बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना और कुशल युवा कार्यक्रम योजना की शुरुआत दो अक्टूबर से हो गई। साथ ही बिहार स्टार्ट अप नीति 2016 और सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में नि:शुल्क वाई-फाई सुविधा के लिए भी कार्य शुरू कर दिया गया है । श्
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