Exclusive: 'बहन जी' पर अमित शाह का 'माया' जाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jul, 2017 08:38 PM

bihar s political developments will affect uttar pradesh

लालू के परिवार पर पड़े केंद्रीय एजेसियों के छापों के बाद बिहार में पैदा हुए संकट के तार उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं। इन तारों का एक सिरा भाजपा अध्यक्ष

नई दिल्ली: लालू के परिवार पर पड़े केंद्रीय एजेसियों के छापों के बाद बिहार में पैदा हुए संकट के तार उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं। इन तारों का एक सिरा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हाथ में है जिनके लिए 2019 में भी उत्तर प्रदेश में 2014 जैसा प्रदर्शन करना बेहद जरूरी है। इस प्रदर्शन के लिए भाजपा को दलित वोट का वैसा ही समर्थन चहिए जैसा उसे 2014 में मिला था।

यदि मायावती इन दो सालों में सक्रिय हुई तो भाजपा को उसका नुकसान हो सकता है। लिहाजा माया की सक्रियता को रोकने के लिए बिहार की तीनों पार्टियों कांग्रेस, जद(यू) और राजद में तोड़-फोड़ करवाई जा रही है।
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क्या है बिहार कनेक्शन?
दरअसल, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद मायावती का कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा है। यूपी विधानसभा में बसपा की इतनी हैसियत नहीं है कि वह अपने दम पर मायावती को राज्यसभा में भेज सके। बसपा के पास यूपी विधासभा में महज 19 सदस्य हैं जो मायावती को राज्यसभा में भेजने के लिए काफी नहीं है। विपक्ष में सेक्यूलर वोटों के झंडाबरदार बने लालू प्रसाद यादव किसी भी तरीके से मायावती को राज्यसभा पहुंचाने के पक्ष में हैं। माना जा रहा है कि यदि जरूरत हुई तो वह माया को राजद के कोटे से भी राज्यसभा भेज सकते हैं। लालू के पास मायावती को राज्यसभा भेजने का दूसरा विकल्प सपा का सर्मथन दिलाना है।
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हालांकि ये लगभग नामुमकिंन है लेकिन लालू अपने समधी मुलायाम के साथ बातचीत कर मोदी को रोकने के लिए ये चाल भी चल सकते हैं। लालू की इस मंशा को भांप कर ही अमित शाह ने सपा में टूट डालने का प्लान तैयार कर लिया है। शिवपाल सिंह यादव का हाल ही में भाजपा प्रेम जागना इसका जीता जागता उदाहरण है। यदि सपा टूटती है तो भाजपा को इसका दुगना फायदा होगा। 2019 में भाजपा के सामने मजबूत सपा नहीं रहेगी और न ही बसपा उतनी सक्रियता से राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभा सकेगी जितनी मायावती के संसद में बरकरार रहने पर निभाने की संभावना है।

यूपी में खाली होंगी राज्यसभा की 10 सीटें
अगले साल अप्रैल के पहले हफ्ते उत्तर प्रदेश मे राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो जाएंगी। इनमें से अधिकतर सीटें सपा या बसपा के कोटे की हैं लेकिन विधाससभा की मौजूदा स्थिति के हिसाब से बसपा के हाथ एक सीट भी आती हुई नजर नहीं आ रही। यदि सपा एकजुट रही तो उसे दो सीटें मिल सकती है। जबकि 8 सीटों पर भाजपा की जीत तय है। क्योंकि भाजपा के पास 403 सीटों वाली विधानसभा में 308 विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा के सहयोंगियों के पास 20 सीटें है।
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