Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2017 10:33 AM
बिहार टॉपर घोटाले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है।
समस्तीपुर: बिहार टॉपर घोटाले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। आरोपी गणेश ने जिस स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की है वह पिछले 40 सालों से फर्जीवाड़ा करने के लिए बदनाम रहा है।जांच में पता चला कि इस स्कूल में हर साल मैट्रिक में करीब 80 से 100 छात्रों को दाखिला दिया जाता था। मगर परीक्षा का रिजल्ट 300-400 छात्रों का आता था।
इस गोरखधंधे बारे स्कूल के शिक्षक विजय कुमार चौधरी ने बताया कि स्कूल में हर साल करीब 100 एडमिशन होते हैं लेकिन स्कूल के संचालक रामकुमार चौधरी और उनकी पत्नी देवकुमारी पटना, झारखंड, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के तकरीबन 250 से 300 बच्चों को फर्जी तरीके से एडमिशन देते हैं। ऐसे छात्रों का कोई भी रिकॉर्ड स्कूल के अटैंडैंस रजिस्टर में नहीं होता था।
गणेश ने खुद माना कि उसने गिरिडीह से 1990 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और फिर कोडरमा से 1992 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। जिन बाहरी छात्रों को यहां एडमिशन दिया जाता था उनमें ज्यादातर की उम्र 25 से 40 साल के बीच होती थी। अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए रामकुमार चौधरी और उनकी पत्नी देवकुमारी स्कूल में किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं रखते थे।