गुजरात की इन VIP सीट पर थी सबकी नजर, देखिये कौन जीता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 05:53 PM

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गुजरात में सबसे अहम वो सीटें हैं जहां से बड़े चेहरे चुनावी अखाड़े में जोर आजमाइश कर रहे थे। इन सीटों पर पूरे देश की नजर थी। इन सीटों पर भाजपा व कांग्रेस का लंबे समय से कब्जा रहा है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जिस तरह से 100 सीट पर आकर...

नेशनल डेस्क, आशीष पाण्डेय: गुजरात में सबसे अहम वो सीटें हैं जहां से बड़े चेहरे चुनावी अखाड़े में जोर आजमाइश कर रहे थे। इन सीटों पर पूरे देश की नजर थी। इन सीटों पर भाजपा व कांग्रेस का लंबे समय से कब्जा रहा है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जिस तरह से 100 सीट पर आकर सिमट गई है उससे यह तो तय हो गया कि जनता का विश्वास एक बार फिर कांग्रेस पर बढ़ा है। जानते हैं वीआईपी सीटों का हाल:—
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मणिनगर सीट—सुरेश पटेल जीते
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी अहमदाबाद की मणिनगर सीट से विधानसभा पहुंचते थे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मणिनगर विधानसभा के नतीजों पर सबकी नज़र थी। नरेंद्र मोदी इस सीट से लगातार तीन बार 2002, 2007 और 2012 में विधायक थे। इस सीट पर 1990 से लगातार भाजपा का कब्ज़ा रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 में यहां हुए उपचुनाव में भाजपा के ही उम्मीदवार सुरेशभाई धनजीभाई पटेल जीते। सुरेशभाई ने महज़ 18,037 वोटों से जीत हासिल की जबकि नरेंद्र मोदी 2012 में इसी सीट से 86 हज़ार से भी ज़्यादा वोटों से जीते थे। मौजूदा चुनाव में भाजपा ने सुरेशभाई को ही फिर से उतारा और उन्होंने एक बार फिर 17 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर की। जबकि कांग्रेस ने 34 साल की विदेश से पढ़कर आई श्वेता ब्रह्मभट्ट को उम्मीदवार बनाथा। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,52,391 मतदाताओं में से 1,62,074 लोगों ने मतदान किया। यहां औसत मतदान प्रतिशत 64.47 था।
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राजकोट पश्चिमविजय रूपाणी जीते
यह वही सीट है जहां से 2001 में नरेंद्र मोदी ने अपना पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद मोदी मणिनगर ​सीट से लड़े। इस सीट से गुजरात के पूर्व मंत्री और कर्नाटक के वर्तमान राज्यपाल वजूभाई वाला लंबे अर्से तक जीतते रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी राजकोट पश्चिम से प्रत्याशी हैं। विजय रूपाणी ने 54 हजार से अधिक वोट से जीत दर्ज कर ली है। गुजरात की राजनीति में राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है। इसे भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट भी माना जाता है। 1985 से ही इस पर भाजपा काबिज रही है। 2014 में यहां से वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी विधायक चुने गए थे। 3.16 लाख मतदाताओं के साथ यह सौराष्ट्र की सबसे बड़ी विधानसभा भी है। हैरत यह है कि इस विधानसभा में  ज़्यादातर पाटीदार है। ऐसे में यह कहा जाना कि पाटीदार बीजेपी से दूर हुआ, इस पर प्रश्न चिंह लग गया है। कांग्रेस ने यहां से इंद्रनील राज्यगुरु को मैदान में उतार था। राज्यगुरु गुजरात चुनाव के सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक हैं। यहां से 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चुनाव में यहां के 67.68 फ़ीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का उपयोग किया।

सूरतबीजेपी के लिए जीत आसान नहीं
सूरत जिले में 16 विधानसभा सीटें हैं। साल 2015 के सूरत नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 36 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसा 25 साल बाद हुआ था कि कांग्रेस नगर निगम चुनाव में पाटीदारों के दबदबे वाले इलाकों में जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। स्थानीय नेताओं और पाटीदारों का मानना था कि 16 में से कम से कम सात सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी के लिए जीत आसान नहीं होगी। सूरत उत्तर, लिंबायत और कटारगाम जैसे इलाक़ों में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। यहां की वरच्छा रोड, करंज, कटारगाम, कमरेज और सूरत दक्षिण सीटों पर पाटीदार वोटरों का दबदबा है। 2015 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने जिन 22 वॉर्डों में जीत हासिल की थी, उनमें से ज़्यादतर वॉर्ड इन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने इन क्षेत्रों में कई विधानसभा रैलियां की हैं। वरच्छा सीट पर भाजपा के किशोर कनानी ने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को हराया है। यहां तक़रीबन 63 फ़ीसदी वोट पड़े थे। मतदाताओं के लिहाज़ से सबसे छोटी विधानसभा सूरत उत्तर पर भाजपा के कांतिभाई बल्लार ने कांग्रेस के दिनेशभाई मनुभाई कछाड़िया हराया है। यहां 64.3 फ़ीसदी वोट डाले गए थे। कामरेज सूरत का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। यहां से भाजपा ने पूर्व कॉर्पोरेटर वीडी झालावाडिया ने कांग्रेस के अशोक जीरावाला को पटकनी दी है। यहां तक़रीबन 65 प्रतिशत वोट पड़े थे।
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वडगामजिग्नेश मेवाणी जीते
दलित नेता जिग्नेश मेवाणी बनासकांठा ज़िले के वडगाम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार थे। उन्होंने बीजेपी के विजय चक्रवर्ती को हराया है। गुजरात में उभरी तीन नेताओं की तिकड़ी में से एक जिग्नेश मेवाणी भी थे। उन्हें 95 हजार से अधिक वोट मिले हैं। वहीं उनके विरोधी भाजपा के उम्मीदवार विजय चक्रवर्ती को 75 हजार से अधिक वोट मिले। इस चुनाव में यहां से 12 प्रत्याशी अपना किस्मत आज़मा रहे हैं। यहां मतदान औसत से अधिक 71.23 फ़ीसदी हुआ। वडगाम एससी सुरक्षित सीट है। इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 2012 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी मणिलाल वाघेला ने 90 हज़ार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीता था। इस बार कांग्रेस ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतार कर मेवाणी को समर्थन दिया था।

विरमगामकांग्रेस
उत्तर गुजरात की विरमगाम विधानसभा सीट हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर का गृहनगर होने की वजह से काफी अहम है। यहां पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार लाखाभाई बिकाभाई को अपना उम्मीदवार बनाया था। जिन्होंने डाक्टर तेजश्री पटेल को मात दी है। बता दें कि इसी विधानसभा क्षेत्र में मारुति सुजुकी और होंडा मोटरसाइकिल का प्लांट है। यहां से डॉक्टर तेजश्री पटेल 2012 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंची। हालांकि वो बाद में भाजपा में शामिल हो गई थी।
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राधनपुरअल्पेश ठाकोर जीते
ओबीसी समुदाय के नेता अल्पेश ठाकोर राधनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। उन्हें 85 से अधिक वोट मिले हैं। राधनपुर सीट पर भाजपा के 62 साल के ओबीसी प्रत्याशी लविंग जी ठाकोर को करीब 72 हजार वोट मिले हैं। 42 वर्षीय अल्पेश कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। चौथी पास ठाकोर के सामने खड़े अल्पेश 12वीं पास हैं। यहां तक़रीबन 67 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
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मांडवी—शक्तिसिंह गोहिल हार गए
कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल मांडवी से प्रत्याशी थे। इन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के महत्वपूर्ण प्रत्याशियों में से एक शक्तिसिंह गोहिल कच्छ जिले के मांडवी से चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा ने यहां से वर्तमान विधायक तारा चंद्र की जगह वीरेंद्र सिंह जडेजा को टिकट दिया था। ​वीरेंद्र सिंह ने शक्ति सिंह को करीब 10 ​हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया है। यहां 70.7 फ़ीसदी वोट डाले गए।
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पोरबंदर—अर्जुन मोडवाडिया चुनाव हार गए
पोरबंदर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोडवाडिया अपनी किस्मत आज़मा रहे थे। वो भी चुनाव हार गए। भाजपा ने यहां बाबूभाई बोखिरिया को ही उम्मीदवार बनाया था। बोखिरिया ने करीब दो हजार वोट से अर्जुन को हरा दिया। यहां वोट प्रतिशत 64.34 फ़ीसदी रहा था।

सौराष्ट्र
सौराष्ट्र की अमरेली सीट से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक परेश धनानी को ही मैदान में उतारा है उन्हें 87 हजार वोट मिले जबकि भाजपा के बवकुभाई नाथाभाई उधाड को 75 हजार वोट ही मिले। इस तरह इस सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनावों में परेश धनानी ने भाजपा के दिलीप संघानी को हराया था। इस चुनाव में यहां 62.51 फ़ीसदी वोट पड़े थे।
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मेहसाणा—उपमुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल जीते
गुजरात के वर्तमान उपमुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल मेहसाणा सीट पर भाजपा प्रत्याशी थे। पाटीदार आंदोलन के गढ़ रहे मेहसाणा सीट पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल चुनाव लड़े और उन्हें करीब 84 हजार वोट मिले जबकि कांग्रेस ने यहां से जीवाभाई पटेल को उतारा था, उन्हें करीब 76 हजार वोट ही मिले।

भावनगर पश्चिम—जीतू वघानी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी भावनगर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें लगभग 84 हजार वोट मिले जबकि कांग्रेस ने यहां से दिलीप सिंह गोहिल को उतारा था। उन्हें केवल लगभग 57 हजार वोट से ही संतोष करना पड़ा। यहां 62.08 फ़ीसदी वोट डाले गए थे।

वलसाड
करीब एक लाख से अधिक वोट पाकर बीजेपी के भरत पटेल जीत गए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी नरेंदर कुमार भारी मतो से हराया। नरेंदर को केवल लगभग 51 हजार ही मिले। वलसाड की सीट पर इसलिए भी सभी की नज़र रहेगी क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस सीट से जो भी प्रत्याशी जीतता है, राज्य में सरकार उसी की पार्टी की बनती है। भरत पटेल ही यहां से वर्तमान विधायक भी हैं।

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