बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: बेटी के बर्थ सर्टिफिकेट के लिए जरूरी नहीं पिता का नाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 04:11 PM

bombay high court justice as oka ri chagla birth certificate

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किया कि अविवाहित महिला की बेटी के बर्थ सर्टिफिकेट से पिता के नाम को हटाया जाए। कोर्ट ने ये फैसला एक बिन ब्याही मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।  ये फैसला जस्टिस एएस ओका और जस्टिस आरआई...

नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किया कि अविवाहित महिला की बेटी के बर्थ सर्टिफिकेट से पिता के नाम को हटाया जाए। कोर्ट ने ये फैसला एक बिन ब्याही मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।  

ये फैसला जस्टिस एएस ओका और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने बृहनमुंबई नगर निगम को निर्देश दिए कि वो नया हर्थ सर्टिफिकेट जारी करे। जिसमें बच्ची के जैविक पिता के नाम का स्थानखाली हो। हालांकि पीठ ने महिला की उस प्रार्थना को मानने से इंकार कर दिया जिसमें कहा गया था की बीएमसी के सभी रिकॉर्ड से पिता का नाम हटाया जाए। 

दायर याचिका में कहा गया कि महिला ने बिना शादी किए 2013 में एक बच्ची को जन्म दिया था। वो बीएमसी को अपने बच्ची के पिता का नाम नहीम बताना चाहती थी। साथ ही महिला ने कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि फॉर्म भरते वक्त किसने इस जानकारी का खुलासा किया। कोर्ट ने बच्ची के पिता को बुलाया था। पिता ने कहा कि उसे बर्थ सर्टिफिकेट से अपना नाम हटाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि सिंगल मदर को उसे जैविक पिता का नाम बताने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

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