सीमा विवादः भारत के डर से सोशल मीडिया की शरण में चीन !

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jul, 2017 05:41 PM

border dispute china upload video on social media

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है...

बीजिंगः भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन इस मुद्दे पर कई बार भारत को धमका चुका है। चीनी मीडिया भारत के प्रति बेहद सख्त भाषा का इस्तेमाल कर रहा है । यहां तक कि चीन अब भारत के एक्शन और रिएक्शन के डर से  मीडिया की शरण में पहुंच गया है। Chinese Embassy Press की तरफ से सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया गया है जिसमें सिकिक्म को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला जा रहा है। इस विडियो को 20 बार subscribe किया जा चुका है। 

इस बीच, चीन लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि भारतीय सैनिक चीनी क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं। इसके पक्ष में चीन की दलील है कि वह क्षेत्र चीनी संप्रभुता के अंदर है और हम सड़क बनाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन भारत उसे ऐसा करने से रोक रहा है। इसके साथ ही चीन ने साल 1962 के युद्ध में भारत की हार का जिक्र करते हुए कहा है कि अब चीन 1962 की तुलना में ज्यादा ताकतवर हो चुका है।  इससे पहले मंगलवार को ही चीन ने विवाद पर समझौते की संभावनाओं को दरकिनार करते हुए धमकी भरे लहजे में कहा था कि सैन्य विकल्प भारत की नीति पर नर्भर करेगा। गेंद को भारत के पाले में डालते हुए चीन ने कहा था कि भारत को ही सीमा विवाद का हल निकालना है।


कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा को बनाया मोहरा
चीन ने इस बार की घटना के विरोध में कूटनीतिक कदम उठाते हुए कैलाश मानसरोवर की तीर्थ यात्रा तक को रोक दिया है। यानी इस बार यह मामला चुमार, डेमचौक और चेपसांग के इलाकों में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की पिछली घटनाओं से अलग है। 

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क्या है विवाद की जड़ ?
बता दें कि भारत-चीन के बीच कुल 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की वजह से 1962 में युद्ध हो चुका है। बावजूद इसके सीमा विवाद नहीं सुलझ सका। यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है।  मौजूदा सीमा विवाद भारत-भूटान और चीन सीमा के मिलान बिन्दु से जुड़ा हुआ है। सिक्किम में भारतीय सीमा से सटे डोकलाम पठार है, जहां चीन सड़क निर्माण कराने पर आमादा है। भारतीय सैनिकों ने पिछले दिनों चीन की इस कोशिश का विरोध किया था। डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान में भी पड़ता है। भूटान ने भी चीन की इस कोशिश का विरोध किया। 
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भूटान में यह पठार डोक ला कहलाता है, जबकि चीन में डोकलांग। भूटान और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है। भूटान को अक्सर ऐसे मामलों में भारतीय सैन्य और राजनयिक सहयोग मिलता रहा है। लिहाजा, भारतीय सेना ने इस बार भी चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण की कोशिशों का विरोध किया है। चीन को यह बात नागवार गुजरी है।

भारत इसलिए कर रहा विरोध? 
डोकलाम पठार को लेकर भूटान और चीन में लंबे समय से विवाद चल रहा है। भारत इस मुद्दे पर भूटान का समर्थन करता रहा है और डोकलाम पर भूटान के दावे का समर्थन करता रहा है। दरअसल, डोकलाम पठार सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण है। अगर चीन यहां तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो वह भारत के पूर्वोत्तर हिस्से तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है। 
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भारत के लिए सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण उस 20 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर तक पहुंच बना सकता है, जिसे भारतीय सेना की भाषा में ‘चिकेन नेक’ कहा जाता है, और इसके जरिए भारतीय मैदानी इलाकों खासकर पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में प्रवेश किया जा सकता है। यही वजह है कि भारतीय सेना ने चीन के सड़क निर्णाण की कोशिशों का जबर्दस्त विरोध किया है। इसके जवाब में चीनी सैनिकों ने लालटेन आउटपोस्ट पर भारत के दो बंकरों को निशाना भी बनाया। हालांकि, भारत की ओर से कोई जवाबी हमला नहीं किया गया, बल्कि उसकी जगह ह्यूमन वॉल बनाई गई।

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