Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 12:55 PM
आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने कमर कस ली है। इसके तहत अब जल्द ही दुश्मन की सीमा में घुसकर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल का सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट से परीक्षण किया जाएगा। इसी हफ्ते होने वाले इस ट्रायल को ‘डेडली कॉम्बिनेशन’...
नेशनल डेस्क: आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने कमर कस ली है। इसके तहत अब जल्द ही दुश्मन की सीमा में घुसकर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल का सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट से परीक्षण किया जाएगा। इसी हफ्ते होने वाले इस ट्रायल को ‘डेडली कॉम्बिनेशन’ कहा जा रहा है।
भारतीय वायु सेना की बढ़ेगी ताकत
इसका इस्तेमाल करके दुश्मन देश की सीमा में मौजूद आतंकी ठिकानों पर भी हमला बोला जा सकेगा। फायर होने के बाद ब्रह्मोस की स्पीड साउंड की स्पीड से तीन गुना तेज होती है, फिलहाल इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर दूर तक की है जिसको 450 किलोमीटर तक करने का काम भी चल रहा है। सुखोई से फायर करने के लिए मिसाइल के डिजाइन में कुछ बदलाव भी किए जा रहे हैं। अगर सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण सफल रहा तो इससे भारतीय वायु सेना की ताकत और अधिक बढ़ जाएगी।
अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों को बनाएगी निशाना
सूत्रों के मुताबिक यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है। बीते एक दशक में सेना ने 290 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं। इसके लिए सेना, नेवी और इंडियन एयर फोर्स ने अपनी रुचि दिखाई है।
जून, 2016 में भारत के 34 देशों के संगठन मिसाइल तकनीक नियंत्रक समूह का हिस्सा बनने के बाद अब मिसाइलों की रेंज की सीमा भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में अब सशस्त्र बल ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले वर्जन की टेस्टिंग की तैयारी में हैं। एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा। फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन यानि ध्वनि से पांच गुना तेज रफ्तार (माक 5) को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं और ब्रह्मोस को सुखोई से दागने की यह कवायद इस सिलसिले में देखी जा रही है।