कैग की रिपोर्ट में खुलासा, इस राज्य में साढ़े 14 लाख बच्चों ने बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 12:31 AM

cag report  1 4 million children leave school in middle

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) मध्यप्रदेश को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। शैक्षणिक सत्र 2010 से 2016 के दौरान प्रदेश में 14 लाख 34 हजार बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। जबकि छत्तीसगढ़ और गुजरात की स्थिति प्रदेश से बेहतर है। ये रिपोर्ट...

भोपालः भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) मध्यप्रदेश को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। शैक्षणिक सत्र 2010 से 2016 के दौरान प्रदेश में 14 लाख 34 हजार बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। जबकि छत्तीसगढ़ और गुजरात की स्थिति प्रदेश से बेहतर है। ये रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत की।

प्रधान महालेखाकार सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखा परीक्षा मप्र पराग प्रकाश ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 10 लाख 25 हजार बच्चों ने पांचवीं और 4 लाख 9 हजार बच्चों ने 7वीं के बाद स्कूल छोड़ दिया। सत्र 2013 से 2016 के बीच स्कूलों में बच्चों के दाखिले में सात से दस लाख की गिरावट पाई गई है। प्रधान महालेखाकार ने लिखा है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) कानून लागू होने के छह साल बाद राज्य में प्रारंभिक शिक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है। दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान जिला और राज्य स्तर से मिले विलेज एजुकेशन रजिस्टर (वीईआर)- वार्ड एजुकेशन रजिस्टर (डब्ल्यूईआर) और यू-डाइस डाटा में अंतर पाया गया है। शैक्षणिक सत्र 2015-16 में वीईआर ने 130.80 लाख और यू-डाइस ने 134.77 लाख बच्चों का प्रवेश बताया।

महालेखाकार ने इसे गंभीर गलती बताते हुए लिखा कि स्कूल शिक्षा विभाग ने फर्जी दाखिले, विद्यार्थियों के दोहरीकरण एवं यू-डाइस में दाखिले की गलती की निगरानी का कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है। इसके चलते आंकड़ों को विश्वसनीय नहीं माना है। वहीं प्रत्येक बसाहट के बगल में स्कूल देने में भी सरकार विफल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 32 हजार 703 सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात नहीं मिला। इतना ही नहीं, कानून के तहत पढ़ाई के घंटे, कार्य दिवस का भी पालन नहीं हुआ है। 2010 से 2016 के बीच 20 हजार 245 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चलते रहे। 2016 की स्थिति में प्रदेश में शिक्षकों के 63 हजार 851 पद खाली पाए गए।

इसके अलावा विभाग सर्वशिक्षा अभियान के तहत मिली राशि का उपयोग करने में भी असफल रहा है। फलस्वरूप अगले सालों में भारत सरकार ने राशि कम कर दी। विभाग को वर्ष 2010 से 2016 तक अभियान के तहत 19171.30 करोड़ रुपए मिले। इसमें से 17905.89 करोड़ रुपए ही खर्च हुए। ये राशि राज्य शिक्षा केंद्र और जिलों में बैंकों में पड़ी रही। विभाग अनुदान की शर्तों की पूर्ति करने में असफल रहा। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने 13वें वित्त आयोग की अनुदान राशि 537 करोड़ रुपए नहीं दी। 

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