Exclusive: नीतीश पर संकट, बिहार में लगेगा राष्ट्रपति शासन!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 05:03 PM

cbi lalu prasad yadav nitish kumar bjp

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए छापों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए छापों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इसके चलते बिहार की सियासत नीतीश की सरकार गिरने और राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रही है। हालांकि पूरे संकट से निपटने के लिए नीतीश कुमार ने मंगलवार को पार्टी की बैठक बुलाई है लेकिन उनके लिए इस चक्रव्यू से निकलना इतना आसान नहीं है। 
PunjabKesari
नीतीश की है साफ सुथरी छवि
नीतीश कुमार की छवि एक साफ सुथरे मुख्यमंत्री की है और उनपर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप नहीं है। उनकी यही साफ छवि उनकी पूंजी है। यदि नीतीश ने इस पूंजी को कायम रखना है तो उन्हें लालू के बेटों को कैबिनेट से हटाना होगा। पार्टी के भीतर और बाहर से उनपर ये भारी दबाव है। यदि नीतीश ऐसा करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया में लालू गठबंधन तोडऩे जैसा गंभीर कदम उठा सकते हैं। बिहार विधानसभा में लालू के पास 80 सीटें है जबकि नीतीश के पास 71 सीटें हैं लिहाजा बढी पार्टी होने के चलते लालू, नीतीश के आगे न झुके तो प्रदेश में संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा। 
PunjabKesari
भाजपा के पास विधासभा में 53 सीटें
भाजपा के लिए इस पूरे घटना क्रम में चित्त भी मेरी और पट्ट भी मेरी वाली स्थिती है। यदि लालू झुकते हैं और उनके बेटे कैबिनेट से बाहर आते हैं तो लालू की सियासी ताकत कम हो जाएगी और यदि लालू गठबंधन तोड़ते हैं तो राज्य की सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ आ जाएगी। भाजपा के पास विधासभा में 53 सीटें हैं और यदि भाजपा नीतीश को समर्थन दे देती है तो नीतीश लालू के बिना भी राज्य के मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। 
PunjabKesari
भाजपा नहीं देगी समर्थन
बिहार के पूरे घटना क्रम पर भाजपा की करीबी नजर बनी हुई है लेकिन राजनीतिक विशलेशकों का मानना है कि भाजपा इस स्थिती में नीतीश कुमार को समर्थन नहीं देगी। हालांकि भाजपा की सहयोगी लोकजन शक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान बार-बार नीतीश को एनडीए के साथ आने का न्यौता दे चुके हैं लेकिन इसके बावजूद नीतीश को समर्थ न देने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने करना है। 
PunjabKesari
तीन महीने इंतजार करेगी भाजपा
लालू द्वारा समर्थन वापिस लेने की स्थिती में भाजपा तुरंत नीतीश का हाथ पकड़कर उन्हें राजभवन नहीं पहुंचाएगी। यदि ऐसा हुआ तो नीतीश के साथ साथ भाजपा की भी बदनामी के आसार हैं। भाजपा के समर्थन देने की स्थिती में ये संदेश जाएगी कि केंद्र सरकार ने बिहार में गठबंधन तुड़वाने के लिए सीबीआई के माध्यम से लालू की छवि खराब करने की कोशिश की है लिहाजा ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है। भाजपा कम से कम तीन महीने का इंतजार करेगी और लालू परिवार के खिलाफ ठोस सबूत सामने के बाद नीतीश को समर्थन पर फैसला ले सकती है। ऐसी स्थिती में बिहार में तीन महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रह सकता है। 
PunjabKesari
गुजरात के साथ बिहार के चुनाव
भाजपा के लिए 40 लोकसभा सीटों वाला बिहार राजनीतिक रुप से काफी अहम है। बिहार के मौजूदा संकट का इस्तेमाल भाजपा 2019 की जमीन तैयार करने के लिए कर सकती है। बिहार में लालू ने समर्थन वापिस लिया तो भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन का दांव खेलने का विकल्प भी आजमा सकती है। ऐसे स्थिती में बिहार में हिमाचल और गुजरात के साथ दिसंबर में मध्यवधी चुनाव हो सकते हैं। 2015 के चुनाव में राजद, जद(यू) और कांग्रेस एक साथ थे, लेकिन अगले चुनाव में इन तीनों के साथ होने की संभावना कम हो जाएगी जिसका भाजपा को फायदा हो सकता है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!