Edited By ,Updated: 27 Mar, 2017 02:56 PM
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक का दर्जा किसे मिले 68 फीसदी आबादी वाले मुसलमानों को या हिन्दू।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक का दर्जा किसे मिले 68 फीसदी आबादी वाले मुसलमानों को या हिन्दू, सिख और बौद्धों को, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ये तय करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों से बैठक कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है। अंकुर शर्मा नाम के शख्स की तरफ से पिछले साल दाखिल याचिका में राज्य में अल्पसंख्यकों का सही निर्धारण नहीं किए जाने की शिकायत की गई थी। कहा गया था कि राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय तय करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया है। इस वजह से अल्पसंख्यकों के लिए प्रधानमंत्री की 15 सूत्री योजनाओं का फायदा मुस्लिम उठा रहे हैं जबकि उनकी आबादी 68 फीसदी है। याचिका में मांग की गई थी कि ये लाभ हिन्दू, सिख और बौद्ध समुदाय को मिलना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानून नहीं लागू
केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानूनन हर राज्य को आबादी और दूसरी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों का निर्धारण करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वजह से केंद्रीय कानून लागू नहीं है। राज्य की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि राज्य सरकार इस मसले का हल निकालना चाहती है, इसके लिए केंद्र के साथ बैठक की जाएगी। मामले की सुनवाई कर रही 3 जजों की बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि हम केंद्र और राज्य की इस बात के लिए सराहना करते हैं कि वो इस गंभीर मसले को मिल कर हल करना चाहते हैं।