Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Aug, 2017 08:47 PM
विपक्ष की ओर से सरकार पर सबसे पहला वार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने किया
नई दिल्लीः आरबीआई के नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के सरकारी बैंकों में वापस आने से संबंधित रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के उजागर होने के बाद राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष की ओर से सरकार पर सबसे पहला वार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने किया। तंज कसते हुए पी चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने की योजना थी?
आरबीआई ने सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया कि नोटबंदी के बाद 1000 रुपये और 500 रुपये के 99 प्रतिशत नोट वापस आए हैं। आरबीआई ने बताया कि कुल 15 लाख 44 हजार करोड़ के पुराने नोट बंद हुए थे। इनमें से 15 लाख 28 हजार करोड़ की रकम बैंकों में लौटे हैं। नोटबंदी के बाद पुराने 1,000 रुपए के कुल 632.6 करोड़ नोटों में से 8.9 करोड़ नोट अब तक नहीं लौटे हैं।
पूर्व वित्त मंत्री ने इन्हीं आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले से देश को आर्थिक नुकसाना उठाना पड़ा है। पी चिदंबरम के मुताबिक आरबीआई ने कहा कि कुल 1544,000 करोड़ रुपए के 1,000 और 500 रुपए में से 16000 करोड़ रुपए के नोट वापस नहीं लौटे, जो कि लगभग 1 प्रतिशत के बराबर है। ऐसे में आरबीआई को शर्म करनी चाहिए कि उसने नोटबंदी का समर्थन किया।
आरबीआई को 16 हजार करोड़ रुपए का फायदा तो हुआ पर उसे नए नोटों की छपाई पर 21 हजार करोड़ रुपए खर्च करना पड़ा है। इस पर तंज कसते हुए चिदंबरम ने कहा कि ऐसे में यह फैसला लेने वाले वाले इकनॉमिस्ट को नॉबेल प्राइज मिलना चाहिए। यही नहीं पूर्व वित्तमंत्री ने केंद्र पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जब 99 प्रतिशत नोट कानूनी रूप से बदले गए।
आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में 7.62 लाख नकली नोटों का पता चला जबकि 2015-16 में 6.32 लाख नकली नोट पकड़े गए थे। रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद नए नोटों की छपाई की लागत दोगुनी होकर 7,965 करोड़ रुपए हो गई जबकि 2015-16 में 3,421 करोड़ रुपये थी।