बच्चों को बौना बना रहा है बाल विवाह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 12:46 AM

child marriage is making dwarves

बाल विवाह जिंदगी को नरक बना देता है। कम उम्र में शादी का खमियाजा न सिर्फ वर-वधू को भुगतना पड़ता है बल्कि समाज पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता है। कम उम्र में गर्भ धारण करने की वजह से अस्वस्थ एवं अविकसित शिशु का जन्म होता है। आगे चलकर ऐसे बच्चे बौनेपन और...

पटना: बाल विवाह जिंदगी को नरक बना देता है। कम उम्र में शादी का खमियाजा न सिर्फ वर-वधू को भुगतना पड़ता है बल्कि समाज पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता है। कम उम्र में गर्भ धारण करने की वजह से अस्वस्थ एवं अविकसित शिशु का जन्म होता है। आगे चलकर ऐसे बच्चे बौनेपन और मंदबुद्धि का शिकार हो जाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के एक प्रतिवेदन के अनुसार बिहार में 2006 से 2016 के बीच 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे बौनेपन के शिकार हैं। बीमारियों के साथ-साथ पारिवारिक कलह को भी आमंत्रित करता है बाल विवाह। बाल विवाह निषेध को ले राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान ने लोगों को जागरूक किया है। 

महिलाओं में इस अभियान के प्रति उत्साह अधिक है। 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की की शादी वैधानिक रूप से बाल विवाह है। शादी के समय लड़का या लड़की जो भी इस तय उम्र की सीमा से कम है तो उस शादी को बाल विवाह माना जाएगा। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत यदि 18 साल से अधिक उम्र का पुरुष किसी 18 साल से कम उम्र की बच्ची से शादी करता है तो उसे बाल विवाह का दोषी समझा जाएगा और सजा होगी। 

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