चीन के हैं ये 14 पड़ोसी देश,जानें उनके नाम

Edited By vasudha,Updated: 06 Aug, 2017 09:24 AM

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डोकलाम पर भारत और चीन के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों की सेनाएं डेढ़ महीने से आमने-सामने डटी हुई हैं। चीन की ओर से बार-बार भारतीय सेना को पीछे हटने की धमकी दी जा रही है। सीमा पर गतिरोध तब शुरू हुआ था जब चीनी सेना ने...

डोकलाम पर भारत और चीन के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों की सेनाएं डेढ़ महीने से आमने-सामने डटी हुई हैं। चीन की ओर से बार-बार भारतीय सेना को पीछे हटने की धमकी दी जा रही है। सीमा पर गतिरोध तब शुरू हुआ था जब चीनी सेना ने भूटान-चीन-भारत सीमा के पास एक सड़क बनानी शुरू की। इस पर भारत ने कहा कि यह इलाके में यथास्थिति बदलने के लिए चीन की एकतरफा कार्रवाई है। भारत ने इस पर चिंता जताई कि सड़क निर्माण से चीन को पूर्वोत्तर राज्यों से भारत की पहुंच खत्म करने में मदद मिलेगी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 1962 के बाद यह पहला मौका है जब सीमा पर इतनी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। वहीं विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन की 14 देशों के साथ सीमाएं मिलती हैं और सीमा को लेकर पाकिस्तान को छोड़कर लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ चीन की तनातनी है।

भारत से जमीनी और समुद्री तथा जापान, वियतनाम और फिलीपींस के साथ समुद्री सीमा को लेकर उसका गहरा विवाद है। पड़ोसी देशों के साथ तो उसका सीमा विवाद है ही, साथ में हजारों किलोमीटर दूर स्थित दूसरे देशों के साथ भी उसका विवादहै। कुल मिलाकर चीन का 23 देशों के साथ विवाद चल रहा है।


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चीन के पड़ोसी देश  (China Neighbouring Countries) 


इंडोनेशिया: दक्षिण चीन सागर के कुछ इलाकों पर इंडोनेशिया का अधिकार है, जबकि चीन का कहना है कि यह पूरा इलाका उसका है।

सिंगापुर: सिंगापुर के साथ चीन का विवाद दक्षिण चीन सागर को लेकर ही है। चीन यहां मछली मारने को लेकर कई बार सिंगापुर से अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है। पाकिस्तान- चीन का अपने घनिष्ठ मित्र देश पाकिस्तान के साथ भी सीमा विवाद है। हालांकि पाकिस्तान हाल के दिनों में चीन के कदमों में बिछ चुका है और आने वाले दिनों में यहां पूरी तरह से चीन का कब्जा होने की आशंका जताई जा रही है।

मलेशिया: दक्षिण चीन सागर में जिन तटीय द्वीपों पर मलेशिया का अधिकार होना चाहिए, चीन उन्हें अपना मानता है।

कजाखिस्तान: चीन का अपने सीमावर्ती कजाखिस्तान के साथ भी सीमा विवाद है। हालांकि हाल ही में दोनों देशों के बीच समझौते हुए हैं जो चीन के पक्ष में गए हैं। 

किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान: साथ ही चीन का दावा है कि किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बड़े हिस्से पर उसका अधिकार है, क्योंकि 19वीं सदी में उसने इस भू-भाग को युद्ध में जीता था।

अफगानिस्तान: चीन और अफगानिस्तान के बीच 92.45 किलोमीटर लंबा बार्डर है। इस बार्डर पर पड़ते बदखशां प्रांत के वखन क्षेत्र पर अफगानिस्तान का राज है। इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बहुत पुराना है। वर्ष 1963 में समझौते के बावजूद चीन अफगानिस्तान के बड़े भू-भाग पर अपना आधिपत्य जताता रहा है।

रूस: हालांकि आज चीन को रूस का महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी माना जाता है लेकिन रूस और चीन के आपसी संबंध हमेशा शांतिपूर्ण नहीं रहे हैं। रूस के साथ लगती कई वर्ग किलोमीटर सीमा पर चीन अपनी दावेदारी जता चुका है। दोनों देशों के बीच कई समझौते हो चुके हैं लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका। रूस और चीन के बीच 1969 में सीमा को लेकर लड़ाई हो चुकी है। विश्व की इन दोनों बड़ी ताकतों के बीच इससे पहले कभी इतने बड़े स्तर पर युद्ध की संभावना सामने नहीं आई थी। हालांकि जैसा कि रूस के इतिहास में अक्सर होता आया है, युद्ध में रूस को जो बढ़त मिली थी, उसे शांति वार्ता के दौरान गंवा दिया गया। इसके बाद 1969 के शरदकाल में दोनों देशों के बीच बातचीत हुई जिसमें यह तय किया गया कि चीनी और सोवियत सीमारक्षक उसुरी नदी के तटों पर रहेंगे और इनमें से कोई भी पक्ष दमानस्की द्वीप में प्रवेश नहीं करेगा।

जापान: पूर्वी चीन सागर में स्थित सेनकाकु द्वीप पर जापान का आधिपत्य रहा है। चीन का कहना है कि इस द्वीप पर उसका ऐतिहासिक अधिकार है और वर्ष 1874 तक यह द्वीप उसका बंदरगाह शहर रहा है। इसे लेकर सन् 1900 में साईनो-जापान युद्ध-1 तक हो चुका है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यह द्वीप युनाईटेड स्टेट्स का हिस्सा भी बन चुका है।  दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने इसे अमरीका के सुपुर्द कर दिया था और बाद में अमरीका ने इसे 1972 में जापान को सौंप दिया था।

मंगोलिया: चीन का मानना है कि युआन राजवंश के शासनकाल में मंगोलिया भी उसका हिस्सा रहा है। हालांकि सच्चाई यह है कि मंगोलिया के चंगेज खान ने चीन पर अपना आधिपत्य जमा लिया था।

दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया पूर्वी चीन सागर में कई इलाकों पर लंबे समय से अपना कब्जा जमाए हुए है। हालांकि चीन का कहना है कि पूरे दक्षिण कोरिया पर उसका हक है। यहां उसने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि दक्षिण कोरिया पर चीन के युआन राजवंश का शासन रहा था।

फिलीपींस, कम्बोडिया: चीन फिलीपींस, कम्बोडिया की जमीन पर भी अपना हक जता रहा है।
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भारत: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद 1950 से पहले का चला आ रहा है। अक्साई चिन चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तर पश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोडऩे का जरिया था। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था। 1950 के दशक से यह क्षेत्र चीन के कब्जे में है। भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू व कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू व कश्मीर के कुल  क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया है। सीमा विवाद को लेकर 1962 के युद्ध के बाद भारत के साथ चीन की कई बार झड़प हो चुकी है। एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं।

सिक्किम: चीन सिक्किम सैक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान के बॉर्डर मिलते हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर अपना-अपना दावा करते हैं। भारत इस विवाद में भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलांग कहलाता है।

उत्तर कोरिया: कोरिया -अमरीका के बीच कभी दोस्ताना संबंध भी रहा है। 1882 तक दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर व्यापारिक संबंध स्थापित थे और दोनों में 1905 तक बेहतर संबंध रहे हैं। कोरिया के विभाजन के बाद उत्तर कोरिया और चीन में मैत्रीपूर्ण संबंध पैदा हो गए। कहा जाता है कि उत्तर कोरिया के इतनी बड़ी सैन्य ताकत बनने और उसके परमाणु मिसाइल कार्यक्रम के पीछे सबसे बड़ा हाथ चीन का है मगर इसके बावजूद चीन उत्तर कोरिया के जिन्दाओ इलाके पर अपनी दावेदारी पेश करता रहा है।

तिब्बत: तिब्बत के कुछ हिस्सों को लेकर भूटान और चीन में तनातनी है। इनमें से 10 से अधिक क्षेत्र हैं।

भूटान: मौजूदा समय में भूटान के डोकलाम में  चीन हस्तक्षेप कर रहा है। वहीं भूटान के एक बड़े भू-भाग पर चीन की दावेदारी रही है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसके बावजूद मसला सुलझने की बजाय उलझ गया है।

म्यांमार: पिछले पांच साल से चीन करीब 35 देशों को हथियार एक्सपोर्ट कर रहा है। इसके खरीददार देशों में मुख्य रूप से कम आय वाले देश शामिल हैं।  चीन के हथियार निर्यात का करीब तीन चौथाई हिस्सा केवल पाकिस्तान और म्यांमार को जाता है।  दूसरी तरफ म्यांमार के साथ चीन की सीमा लगती है। चीन के युआन राजवंश के समय बर्मा (अब म्यांमार) चीन का अंग हुआ करता था। इतिहास को आधार मानते हुए चीन ने म्यांमार के एक बड़े भू-भाग पर अपनी दावेदारी कर रखी है।

ब्रुनेई: दक्षिण चीन सागर में कुछ तटीय द्वीपों पर ब्रुनेई का कब्जा रहा है। हालांकि, चीन को लगता है यह उसका इलाका है।

वियतनाम: चीन के मुताबिक वियतनाम पर भी उसका हक है क्योंकि एक समय चीन के मिंग राजवंश (1368-1644) का यहां शासन रहा था। कहा जाता है कि वियतनाम और अमरीका में अच्छी मित्रता रही है लेकिन बाद में वियतनाम चीन के पाले में चला गया लेकिन फिर चीन उसकी भूमि पर अपना हक जताता है।

लाओस: चीन के मुताबिक युआन राजवंश के शासनकाल में लाओस पर उसका अधिकार रहा है। यही वजह है कि चीन अब भी लाओस को अपना हिस्सा मानता है। चीन खुले तौर पर कहता रहा है कि ताईवान चीनी गणराज्य का हिस्सा है। हालांकि ताईवान इस बात का पुरजोर विरोध करता रहा है।

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