Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jun, 2017 12:01 AM
आम की मांग को बाजार में पूरा करने के लिए कैमिकल्स का भरपूर उपयोग किया जा.....
नई दिल्ली(अंकुर शुक्ला): आम की मांग को बाजार में पूरा करने के लिए कैमिकल्स का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। इसमें चीन से आने वाली पुडिय़ा आम पकाने के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। इस चीनी पुडिय़ा से आम महज 48 घंटे में ही पक जाता है और इस पर महज 3 रुपए ही खर्च आता है। पहले यह आम कार्बाइड से पकाया जाता था, लेकिन अब इसे चीनी पुडिय़ा से पकाया जाता है। डाक्टरों के मुताबिक यह बेहद ही खतरनाक है और यह एक धीमा जहर भी है
आजादपुर मंडी के मैंगो मर्चैंट एसोसिएशन के सचिव विनोद बजाज के मुताबिक मंडी में कार्बाइड से आम पकाने का चलन पूरे तौर पर खत्म हो चला है। उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि अब चीन से आने वाली पुडिय़ा कार्बाइड की जगह लेती जा रही है। पुडिय़ा को गीला कर आम की पेटी में डाल दिया जाता है जिससे दो दिन के भीतर आम पक जाता है। विनोद का दावा है कि चीनी पुडिय़ा से स्वास्थ्य पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन दूसरी ओर विशेषज्ञ इस दावे को सही नहीं मानते। विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक तरीकों को छोड़कर आम को पकाने का कोई भी रासायनिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
22 किलो आम हो जाता है झटपट तैयार:
बजार में विभिन्न प्रकार के आमों की एंट्री हो चुकी है। जानकारों के मुताबिक 10 जून के बाद आम का सीजन पूरी तरह अपने शबाब पर होता है। खास बात यह है कि इससे पहले बाजार में जो भी आम बिक रहे हैं, सभी को कैमिकल की मदद से पकाया गया है। आम को पकाने वाला रसायन कैल्शियम कार्बाइड बाजार में आमतौर पर 3 रुपए प्रति पुडिय़ा मिलता है। ध्यान देने की बात है कि महज एक पुडिय़ा के इस्तेमाल से करीब 22 किलो आम को बेचने के लिए तैयार कर लिया जाता है। ज्यादातर व्यापारी इसी रसायन को आम पकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
रसायन से पके आम को पकडऩा मुश्किल
आम को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग किया गया है या नहीं, इसका पता लगाना आसान नहीं है जिसके कारण दोषियों को सजा दिलवाना टेढ़ी खीर साबित होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यही वजह है कि संंबंधित विभाग के अधिकारी इस दिशा में मशक्कत करना नहीं चाहते। आम के पकते ही व्यापारी पुडिय़ा बाहर फैंक देता है। आम पकाने के लिए पेटी में व्यापारी ने पुडिय़ा डाली या थोक विक्रेता ने, यह पता लगाना चुनौतियों से भरा होता है। हैरानी होगी यह जानकर कि अगर जब्त किए हुए आम का लैब टैस्ट भी कराया जाए तो आमों में कैल्शियम कार्बाइड की मौजूदगी पता नहीं लगाया जा सकता है।
आंकड़ों में जहर घोलने के खिलाफ कार्रवाई
तारीख कुल नमूने आम फूड सैंपल
28 अप्रैल 54 00 10
25 अप्रैल 35 06 11
21 अप्रैल 28 02 11
24 मार्च 22 00 10
22 मार्च 27 00 07
21 मार्च 36 00 07