भारत के लिए बड़ा खतरा चीन की नई मिसाइल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 12:04 PM

china s advanced hypersonic ballistic missile threat to india report

चीन की नई हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-17 भारत, जापान के साथ अमरीका के लिए भी बड़ा खतरा बताई जा रही है। टोक्यो की ''डिप्लोमेट'' पत्रिका ने पिछले महीने अमरीकी खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया था...

बीजिंगः चीन की नई हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल  भारत, जापान के साथ अमरीका के लिए भी बड़ा खतरा बताई जा रही है। टोक्यो की 'डिप्लोमेट' पत्रिका ने पिछले महीने अमरीकी खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रॉकेट फोर्स ने नई मिसाइल 'हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल' (एचजीवी) का परीक्षण किया है जिसे डीएफ--17 नाम दिया गया है।

साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने बीजिंग के सैन्य विश्लेषक झोउ चेनमिंग के हवाले से बताया कि पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में एचजीवी बेहद जटिल है और इसे मार गिराना मुश्किल है। अमरीका, जापान और भारत को चीन की एचजीवी तकनीक के विकास से चिंतित होना चाहिए।  ये मिसाइल अमरीका और भारत के मिलिट्री बेसेस को तबाह करने की क्षमता रखती है।यह जापान में सैन्य अड्डों  तक शीघ्रता और ज्यादा सटीकता के साथ पहुंच सकती है।' पीएलए के पूर्व सदस्य सांग झोंगपिंग ने कहा कि एचजीवी हथियारों को बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-41 के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 12 हजार किमी तक है और 2020 तक ये चीन की आर्मी को मिल जाएगी।

क्या होती है HGV?
अमरीकी सुत्रों के मुताबिक, "HGVs अनमैन्ड होती है और रॉकेट से लॉन्च की जाती हैं। ये आसानी से मूव की जा सकती हैं और ग्लाइड भी कर सकती हैं। इसके अलावा पृथ्वी के वातावरण को बेहद तेज रफ्तार से पार कर सकती हैं। पारंपरिक बैलिस्टिक सिस्टम के मुकाबले HGVs में कहीं ज्यादा रफ्तार से चलने की क्षमता होती है। ये कम ऊंचाई और ट्रेस न  किए जा सकने वाले इलाकों में भी चल सकती हैं।'

क्यों है HGV से खतरा 
यूएस इंटेलिजैंस के सोर्स के मुताबिक, "द डिप्लोमैट ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा कि चीन ने DF-17 का पहला टेस्ट 1 नवंबर और दूसरा टेस्ट इसके दो हफ्ते बाद किया। दोनों टैस्ट सफल रहे। पहला टेस्ट अंदरूनी मंगोलिया के जियूकुआन लॉन्च सैंटर से किया गया। इस दौरान मिसाइल ने 1400 किलोमीटर की दूरी तय की।

भारत के लिए क्यों है खतरनाक ?
 बीजिंग के मिलिट्री एनालिस्ट झोऊ चेनमिंग  के अनुसार  HGV टैक्नोलॉजी दुनिया की तीन सबसे बड़ी न्यूक्लिय पावर चीन, रूस और अमरीका का हिस्सा बन चुकी हैं। पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में HGVs को रोक पाना ज्यादा मुश्किल और पेंचीदा है। चीन के HGV टैक्नोलॉजी इस डिवैलपमैंट के चलते अमरीका, भारत और जापान को फिक्र करने की जरूरत है, क्योंकि ये ज्यादा तेजी और सटीक तरीके से जापान के मिलिट्री बेसेस और भारत के न्यूक्लियर रिएक्टर्स को निशाना बना सकती है। 

अमरीका के लिए चैलेंज क्यों?
 "HGV सिस्टम को कई तरह की बैलिस्टिक मिसाइल के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स शामिल हैं, जिनकी रेंज करीब 5500 किलोमीटर होती है। इसके अलावा अगर HGV वारहेड का इस्तेमाल चीन की DF-41 मिसाइल के साथ किया जा सकता है, जिसकी रेंज 12,000 किलोमीटर है। ऐसे में ये अमरीका में किसी भी इलाके में एक घंटे के भीतर हिट कर सकती है।'  HGVs का इस्तेमाल साउथ कोरिया में लगे अमरीका के एंटी मिसाइल सिस्टम टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) को तबाह करने के लिए किया जा सकता है। अगर THAAD रडार्स की फंक्शनिंग पहले स्टेज में ही नाकाम हो गई तो चीन की आर्मी की इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स के लिए अागाह करने का मौका बेहद कम बचेगा। ऐसे में अमरीका के पास इसे रोकने के लिए ज्यादा वक्त नहीं होगा, इसलिए ये मिसाइल अमरीका के लिए चैलेंज मानी जा रही है
।"

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!