चीनी सेना ने राजनयिक सहमति की उपेक्षा कर अपनाया कड़ा रुख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 07:21 PM

chinese army ignored diplomatic consensus

भूटान के दावे वाले डोकलाम इलाके से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने के मसले पर सैन्य जनरलों की।

नई दिल्ली: भूटान के दावे वाले डोकलाम इलाके से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने के मसले पर सैन्य जनरलों की शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग में चीनी सेना ने कड़ा रुख अख्तियार किया और राजनयिक स्तर पर विकसित सहमति को नजरंदाज करते हुए बैठक को बेनतीजा रहने दिया। राजनयिक सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों की सेनाओं के आला अधिकारियों के बीच जल्द ही फ्लैग मीटिंग फिर आयोजित होगी। 

सहमति के बाद ही दोनों देशों की बैठक करवाई आयोजित 
राजनयिक सूत्रों ने कहा कि राजनयिक स्तर पर विकसित सहमति के बाद ही दोनों देशों के सैन्य जनरलों की बैठक बार्डर पर्सनल मीटिंग के तहत आयोजित करवाई गई थी लेकिन चीनी सेना ने अपना कड़ा रुख बनाए रखा। इसके बाद ही भारतीय सेना ने देर रात 2 समाचार एजेंसियों के जरिये यह रिपोर्ट जारी करवाई कि भारत चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी फौज की तैनाती और सतर्कता स्तर को बढ़ा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और चीन को मीडिया के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि भारत चीनी धमकियों के आगे झुकने को तैयार नहीं। भारत ने चीनी पक्ष को यह पेशकश की थी कि भरोसा पैदा करने के लिये भारत पहले अपनी सेना पीछे हटा लेगा। लेकिन इसके तुरंत बाद चीनी सेना को पीछे हटना पड़ेगा। लेकिन चीनी पक्ष ने कहा कि डोकलाम इलाका चीन का है इसलिये वह अपने इलाके से पीछे नहीं हटेगा। भारत ने कहा कि डोकलाम इलाके पर भूटान का भी दावा है इसलिये इस मसले के हल होने तक इस बारे में पहले विकसित सहमति के अनुरुप यथास्थिति बनाई रखी जाए। 

चीन पर है दबाव
सूत्रों ने कहा कि दोनोंं देशों के बीच राजनयिक स्तर पर लगातार संपर्क बना हुआ है और इसी का नतीजा है कि मेजर जनरल स्तर की फ्लैग मीटिंग दोनों पक्षों के बीच हुई। डोकलाम में मौजूदा स्थिति अनंत काल तक नहीं बनी रह सकती। चीनी पक्ष इस बात को समझ रहा है कि 3 सितम्बर को चीन मेंं 5 देशों की ब्रिक्स बैठक के पहले इस मसले को सुलझाया जाना जरूरी है। ब्रिक्स शिखर बैठक के पहले यदि डोकलाम मे चीन ने तनाव बढ़ाने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे पर आंच आ सकती है। चीन द्वारा भारत को दी जा रही धमकियों के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का भी चीन पर दबाव है कि डोकलाम मसले को बातचीत से हल करे। चीन यदि इसके लिये सैनिक कार्रवाई करता है तो चीन की किरकिरी होगी। भारत की ओर से भी चीनी धमकियों के मद्देनजर सैनिक तैनाती और तैयारी में भारी बढ़ोतरी की जा रही है। 

भारतीय राजदूत का चीनी विदेश मंत्रालय से सम्पर्क 
सूत्रों ने कहा कि डोकलाम में सैन्य तनातनी दूर करने के लिए भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसेलर यांग च्येछी के अधिकारियों के बीच संचार सम्पर्क बना हुआ है। विदेश सचिव जयशंकर की भी इस बारे में चीनी समकक्ष से फोन पर बात हुई है। पेइचिंग में भारतीय राजदूत का भी चीनी विदेश मंत्रालय से सम्पर्क बना हुआ है।

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