Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 06:30 PM
सौर बिजली परियोजनाओं के उपकरण बनाने में अग्रणी चीनी कंपनियां व्यापार नियंत्रण की कार्रवाइयों से बचने के लिए अपना विनिर्माण कार्य भारत में ही स्थापित करने की दिशा में आगे आ रही है। चीन सौर बिजली उपकरणों के विनिर्माण के मामले में दुनिया में छाया हुआ...
नेशनल डेस्क: सौर बिजली परियोजनाओं के उपकरण बनाने में अग्रणी चीनी कंपनियां व्यापार नियंत्रण की कार्रवाइयों से बचने के लिए अपना विनिर्माण कार्य भारत में ही स्थापित करने की दिशा में आगे आ रही है।
चीन सौर बिजली उपकरणों के विनिर्माण के मामले में दुनिया में छाया हुआ है और भारत सौर बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के चलते ऐसी कंपनियों का एक आकर्षक बाजार है। सौर उपकरण कंपिनयां इस समय अमरीका और अन्य देशों में ऊंचे प्रशुल्क और व्यापार संरक्षण के उपायों का सामना कर रही है।
सौर पाल बनाने वाली चीन की सबसे बड़ी कंपनियों में एक लॉंगी टेक्नोलॉजी लि. ने मंगलवार को कहा कि वह भारत में अपनी विनिर्माण क्षमता का विस्तार करेगी और इसके लिए 30.9 करोड़ डालर का निवेश करेगी। इसमें करीब 24 करोड़ डॉलर निर्माण क्षेत्र में निवेश और 6.8 करोड़ कार्यशील पूंजी के रूप में शामिल है। इस निवेश से वह आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में अपने सेल और मॉड्यूल कारखाने की क्षमता दोगुनी करके 500 मेगावाट से एक गीगावॉट करेगी।
उसका यह निर्णय अमरीका में सौर उपकरणों पर 30 प्रतिशत अतिरिक्त डंपिंग शुल्क लगाने के ट्रम्प सरकार के 24 जनवरी के निर्णय के बाद आया है। भारत के डंपिंग रोधी महानिदेशालय ने भी कहा है कि चीन और मलेशिया से आने वाले सौर पैनलों पर 70 प्रतिशत की दर से ‘ प्रतिरक्षात्मक शुल्क’ लगाने का विचार किया जा रहा है। भारत सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन एवं उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 2022 तक एक लाख मेगावाट सौर बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।