Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 12:23 PM
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वयं पर दर्ज याचिका को लेकर चुप्पी को तोड़ते हुए अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि संज्ञान नहीं लिए गए केस को शपथ पत्र में देना अनिवार्य नहीं है।
पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वयं पर दर्ज याचिका को लेकर चुप्पी को तोड़ते हुए अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि संज्ञान नहीं लिए गए केस को शपथ पत्र में देना अनिवार्य नहीं है। मेरे केस में संज्ञान नहीं लिया गया तो शपथ पत्र में कैसे शामिल करता? उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग जल्द अपना फैसला सुनाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा ने नीतीश के खिलाफ याचिका दर्ज करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने शपथ पत्र में खुद के खिलाफ चल रहे अपराधिक मामले का कोई जिक्र नहीं किया है। यह गतिविधि नियमों के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है कि नीतीश कुमार ने वर्ष 2004 और 2012 के चुनाव में दाखिल शपथ पत्र में 1991 में हुई हत्या के एक मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। इस कारण नीतीश कुमार को किसी संवैधानिक पद पर रहने का कोई हक नहीं है।