GST पर जम्मू कश्मीर में नहीं बन पा रही है सहमति

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jun, 2017 11:43 PM

confusion continue on gst in jammu kashmir

मू कश्मीर प्रदेश में माल और सेवा कर (जी.एस.टी.) लागू करने के मुद्दे पर सरकार अभी तक सहमति नहीं बना पाई है।

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर प्रदेश में माल और सेवा कर (जी.एस.टी.) लागू करने के मुद्दे पर सरकार अभी तक सहमति नहीं बना पाई है। इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए सरकार ने आज दूसरी बार सर्वदलीय बैठक बुलाई। सरकार की ओर से बैठक में वित्तीय मंत्री डॉ हसीब द्राबु और कानून मंत्री अब्दुल हक खान ने प्रतिनिधित्व किया। नैशनल कांफ्रैस और कांग्रेस बैठक में भाग लिया और अपने विरोधी स्टैंड को दोहराया।


सर्वदलीय समिति के अध्यक्ष मुजफ्फर हुसैन बैग ने बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि वह रिपोर्ट बनाने के लिए सरकार को पार्टियों के सुझाव पेश करेंगे। सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने आज भी सर्वदलीय बैठक में जी.एस.टी. विस्तार का मौजूदा स्वरुप में विरोध किया। सरकारी प्रतिनिधि अनुच्छेद 370 और वित्तीय स्वायत्तता की रक्षा पर किसी भी तरह का मजबूत सुझाव पेश नही कर सके। हालांंकि, वित्तीय मंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. विस्तार से प्रदेश के संवैधानिक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

विपक्ष नहीं है राजी
विपक्षी दलों के अलावा कश्मीरी व्यापारी और अलगाववादी भी राज्य में जीएसटी लागू करने का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ने जीएसटी के मुद्दे पर आम लोगों को गुमराह किया है। हालांंकि, राज्य सरकार का कहना है कि जी.एस.टी. व्यापारियों के हित में है और इससे राज्य के विशेष दर्जे यानि अनुच्छेद 370 पर इसका कोई असर नहीं होगा। साथ ही गत 17 जून को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जी.एस.टी पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नासिर असलम वानी ने कहा कि हम जीएसटी को मौजूदा रूप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं। कश्मीर की स्वायत्तता पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए।

कांग्रेस भी विरोध में
राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने सदन में जी.एस.टी. पर बहस किए जाने की मांग करते हुए कहा कि हम राज्य में लागू किए जा रहे जी.एस.टी. बिल का मसौदा देखना चाहते हैं उसके बाद हम अपने सुझाव रखेंगे। इस बिल से राज्य के विशेष दर्जे और आर्थिक स्थिति को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। सरकार पर लोगों को गमुराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यदि पी.डी.पी. और भाजपा में कोई सहमति बिल को लेकर बनी है तो उसे जनता के सामने रखना चाहिए।

 

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