'पडोसी देशों के साथ तनाव पर चुप हैं PM मोदी'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Aug, 2017 06:13 PM

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डोकलाम के मुद्दे पर चीन के आक्रामक रूख पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि सरकार राष्ट्रहित से समझौता किए बिना बातचीत के जरिए इस गतिरोध को दूर करे और प्रधानमंत्री......

नई दिल्ली: डोकलाम के मुद्दे पर चीन के आक्रामक रूख पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि सरकार राष्ट्रहित से समझौता किए बिना बातचीत के जरिए इस गतिरोध को दूर करे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि उनकी चीन के राष्ट्रपति से क्या बात हुई है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने भारत की विदेश नीति और सामरिक भागीदारों के साथ तालमेल विषय पर सदन में चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि यह अजीब बात है कि प्रधानमंत्री दुनिया भर के देशों से बातचीत करते घूम रहे हैं लेकिन पडोसी देशों के साथ तनाव पर चुप हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि जब तक हम पडोस को नहीं संभालेंगे तब तक भारत क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सार्थक भूमिका नहीं निभा सकता। 

 शर्मा ने कहा कि चीन पाकिस्तान और अन्य पडोसी देशों में निरंतर अपनी पैठ बढा रहा है। पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों से चीन के साथ भारत की विभिन्न सरकारों द्वारा बनाया गया तारतय टूट गया है और संबंध असहज हो गए हैं। उन्होंने कहा कि डोकलाम के मुद्दे पर चीन का रूख असमान्य रूप से आक्रामक है और उसका कल का बयान चिंताजनक है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो बार इस मुद्दे पर बोल चुके हैं , पर भारत का जवाब क्या है। प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति से मिले हैं, लेकिन वह चुप हैं उन्हें बताना चाहिए कि क्या उन्हें कोई आश्वासन मिला है। भारत की ओर से कहा गया है कि दोनों नेताओं की जर्मनी के हैमबर्ग में विभिन्न मुद्दों पर सार्थक बातचीत हुई लेकिन चीन ने इससे इंकार किया है । प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप नहीं रह सकते। 

शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी चीनी राष्ट्रपति से मिले हैं लेकिन वहां से भी कुछ नहीं बताया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या बातचीत की खिडकी अभी खुली है कहीं ऐसा तो नहीं कि बातचीत के दरवाजे बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित के हर मुद्दे पर विपक्ष सरकार के साथ है और वह चाहता है कि राजनयिक बातचीत को मौका दिया जाना चाहिए और दुनिया में यह संदेश जाना चाहिए कि भारत तनाव को कम कर स्थिति को सामान्य करना चाहता है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय किसी भी तरह से राष्ट्रहित से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।  

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