कुपोषण को रोकने संबंधी कदमों के परिणाम 2022 तक धरातल पर दिखने चाहिए: मोदी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 05:27 PM

consequences of prevention should be seen on surface till 2022  modi

इस बैठक में कुपोषण, बौनेपन और इससे जुड़ी समस्याओं की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। चर्चा के दौरान कुछ अन्य विकासशील देशों की पोषण से जुड़ी सफल पहल के बारे में भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बौनेपन की स्थिति को कम करने के...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में पोषण की कमी को दूर करने की दिशा में उठाए गए कदमों की समीक्षा की और इस बात पर जोर दिया कि साल 2022 तक इनके परिणाम धरातल पर दिखने चाहिए, जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। यह उच्च स्तरीय बैठक शुक्रवार को बुलाई गई जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

इस बैठक में कुपोषण, बौनेपन और इससे जुड़ी समस्याओं की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। चर्चा के दौरान कुछ अन्य विकासशील देशों की पोषण से जुड़ी सफल पहल के बारे में भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बौनेपन की स्थिति को कम करने के ठोस लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में काम करने की जरूरत है जो पोषण की कमी, जन्म के समय कम वजन और खून की कमी के कारण होते हैं । 

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि साल 2022 तक इनके ठोस परिणाम धरातल पर दिखने चाहिए जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए पोषण परिणामों की वास्तविक निगरानी के बारे में भी चर्चा की गई जिनमें खास तौर पर इस क्षेत्र में खराब प्रदर्शन करने वाले जिले शामिल हैं। 

वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को बताया कि स्वच्छ भारत अभियान, मिशन इंद्रधनुष, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का पोषण के क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्रधानमंत्री ने पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया ताकि वांछित परिणाम प्राप्त किये जा सकें। 

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