सिर पर मैला ढोने वालों से काम नहीं लें सरकारें: अदालत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jul, 2017 06:19 PM

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सिर पर मैला ढोने के काम को प्रथम दृष्टया मानवाधिकार और गरिमामयी जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों का हनन करार देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने आज केंद्र एवं तमिलनाडु सरकार को......

चेन्नई: सिर पर मैला ढोने के काम को प्रथम दृष्टया मानवाधिकार और गरिमामयी जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों का हनन करार देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने आज केंद्र एवं तमिलनाडु सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी से सिर पर मैला ढोने का काम नहीं लिया जाए। मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम सुंदर की पीठ ने चेन्नई के सफाई कर्मचारी आंदोलन की आेर से दायर एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि सिर पर मैला ढोने वाले के तौर पर रोजगार पर प्रतिबंध और उनका पुनर्वास कानून, 2013 की धारा 7 के तहत नालों और सेप्टिक टैंकों की नुकसानदेह सफाई के लिए रोजगार या एेसे कामों के लिए लोगों की सेवाएं लेने पर प्रतिबंध है। 

अदालत के मुताबिक यह सही है कि इस कानून की धारा 5, 6 और 7 का उल्लंघन कर सिर पर मैला ढोने का काम कराने वालों पर इस कानून की धारा 8 और 9 के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। बहरहाल, अदालत ने कहा कि प्रतिवादी प्राधिकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना होगा कि कानून की धारा 5, 6 और 7 का उल्लंघन नहीं हो। पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए सहायक सॉलिसिटर जनरल और राज्य के सरकारी वकील को नोटिस भी जारी किया। याचिका में सूचना का अधिकार के तहत दाखिल अर्जी पर मिले जवाब का हवाला देते हुए कहा गया था कि एक जनवरी 2014 से इस साल 20 मार्च के बीच चेन्नई, तिरूवल्लूर, कुड्डलोर, मदुरै,विल्लूपुरम और विरूद्धनगर में सिर पर मैला ढोने के कारण 30 लोगों की मौत हुई।  

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