Edited By ,Updated: 07 Nov, 2016 06:58 PM
माकपा ने भोपाल मुठभेड़ मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में करवाने की मांग को लेकर पांच नवंबर को इंदौर में प्रदर्शन करने से पहले पार्टी कार्यकर्ताआें...
भोपाल: माकपा ने भोपाल मुठभेड़ मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में करवाने की मांग को लेकर पांच नवंबर को इंदौर में प्रदर्शन करने से पहले पार्टी कार्यकर्ताआें एवं अन्य लोगों को गिरफ्तार किए जाने पर मध्यप्रदेश सरकार की कड़ी निंदा की है। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने सोमवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लोगों की आवाज दबा रही है।
उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी के कार्यकर्ताआें एवं मानव अधिकार कार्यकर्ताआें को पांच नवंबर को इंदौर में विरोध प्रदर्शन करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए ये लोग भोपाल में 31 अक्टूबर को हुई मुठभेड़ की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग कर रहे थे। गौरतलब है कि 30-31 अक्तूबर की रात को भोपाल केन्द्रीय कारागार से आठ सिमी विचाराधीन कैदी फरार हो गए थे और जेल से भागने से पहले उन्होंने एक सिपाही की गला रेतकर हत्या कर दी थी।
इसके कुछ घंटे बाद ही ये सभी शहर के निकट मणिखेड़ा पठार में पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारे गए थे। सुभाषिनी ने बताया कि इंदौर में आयोजित इस प्रदर्शन में मानव श्रृंखला बनाकर इस मांग के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर नौ नवंबर को एक दिन के लिए लगाई गई रोक का विरोध भी किया जाना था।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता 90 वर्षीय आनंद मोहन माथुर करने वाले थे। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन से कुछ ही घंटे पहले पुलिस ने माकपा के कार्यालय पर धावा बोला और अप्रजातांत्रिक तरीके से वहां से सभी को गिरफ्तार कर लिया।