तेजाब हमले की धमकी किसी को भी सिहरा देने के लिए काफी: अदालत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Aug, 2017 01:51 PM

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दिल्ली की एक अदालत ने एक युवती को विवाह के लिए धमकाने और पीछा करने के जुर्म में एक युवक को मिली सजा रद्द करने की मांग वाली याचिका नामंजूर करने के साथ ही कहा है.....

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक युवती को विवाह के लिए धमकाने और पीछा करने के जुर्म में एक युवक को मिली सजा रद्द करने की मांग वाली याचिका नामंजूर करने के साथ ही कहा है कि किसी लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंकने की धमकी मात्र ही महिला में सिहरन भरने के लिए काफी है। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश अजय कुमार कुहर ने 21 वर्षीय दोषी युवक को परिवीक्षा पर रिहा करने से इनकार करते हुए कहा कि इस तरह की बढ़ती घटनाओं के कारणउदारवादी नजरिया और गलत जगह पर सहानुभूति  की जरूरत नहीं है। 

अदालत ने दोषी सद्दाम की दो वर्ष कैद की सजा घटा कर एक वर्ष के सश्रम कारावास में यह कहते हुए बदल दी कि उसने पहली बार अपराध किया है। न्यायाधीश ने कहा, Þअदालत का यह मानना है कि मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए परिवीक्षा कानून 1958 के उदार प्रावधानों का लाभ याचिकाकर्ता को नहीं दिया जा सकता। उसने न सिर्फ शिकायकर्ता का शील भंग किया है बल्कि उसके पीछा करने के कारण शिकायकर्ता को अपनी स्कूल की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और वह अपनी पढ़ाई प्राइवेट तौर पर कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता के चेहरे पर तेजाब फेंकने की धमकी मात्र ही महिला में सिहरन पैदा करने के लिए काफी है। 

 न्यायाधीश ने कहा, वर्तमान सामाजिक स्थितियों में जब तेजाब फेंकने, छेड़छाड़ और पीछा करने की घटनाएं दिन ब दिन बढ़ती जा रहीं हैं तो एेसी स्थिति में उदार नजरिया और गलत जगह पर सहानुभूति की जरूरत नहीं। अभियोजन के अनुसार 10 जून 2016 को शिकायकर्ता दक्षिण पूर्वी दिल्ली में अपने रिश्तेदार के साथ बाजार जा रही थी तभी रास्ते में सद्दाम ने उसका हाथ पकड़ लिया और धमकी दी कि अगर उसने उससे शादी नहीं की तो वह उसके चेहरे पर तेजाब फेंक देगा। लड़की ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरतार कर लिया था। 

मजिस्ट्रेट की अदालत ने 17 मार्च 2017 को उसे दोषी ठहराते हुए दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी।   दोषी ने मजिस्ट्रेट के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी कि अदालत ने इस बात को अनदेखा किया कि पारिवारिक झगड़े के कारण महिला ने उसे झूठा फंसाया था। सत्र अदालत ने उसकी दोषसिद्ध को बरकरार रखा लेकिन उसकी साफ छवि को ध्यान में रखते हुये दो साल की कैद को घटाकर एक साल कर कर दिया।   
 

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